Contents
- 1 सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant Biography) का जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएं, रचनाएँ एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।
- 2 सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय in short:
- 3 सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएं:
- 4 सुमित्रानंदन पंत की काव्यगत विशेषताएँ
- 5 सुमित्रानंदन पंत की भाषा शैली:
सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant Biography) का जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएं, रचनाएँ एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।
नाम | सुमित्रानंदन पंत (मूल नाम गुसाईं दत्त) |
---|---|
जन्म | 20 मई, 1900 |
जन्म स्थान | कौसानी ग्राम |
मृत्यु | 28 दिसंबर, 1977 |
पिता का नाम | पंडित गंगादत्त |
माता का नाम | सरस्वती देवी |
प्रारंभिक शिक्षा | कौसानी गांव |
उच्च शिक्षा | बनारस और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) |
भाषा ज्ञान | संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला और हिंदी |
उपलब्धियां | 1950 ईस्वी में ऑल इंडिया रेडियो के परामर्शदाता, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सेवियत भूमि पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मभूषण उपाधि |
काव्य धारा | छायावादी |
पुरस्कार | पद्म विभूषण (1961), ज्ञानपीठ (1968), साहित्य अकादमी |
मुख्य कृतियां | पल्लव, पीतांबरा एवं सत्यकाम |
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय in short:
जीवन परिचय – श्री सुमित्रानंदन पंत को छायावादी काव्य-धारा के प्रमुख कवि माना जाता है। उनका जन्म 1900 ई० में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गाँव में हुआ था, जो प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। उनके पिता का नाम श्री गंगादत्त पंत और माता का नाम सरस्वती था। श्री पंत के जन्म के कुछ ही घंटे बाद ही उन्हें माँ की स्नेह छाया से वंचित कर दिया गया था।
पंत जी आरंभ से ही सुकुमारता के उपासक रहे थे। इसलिए, उन्होंने अपने बचपन का नाम गुसाई दत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया। उनकी स्वभाव की कोमलता और प्रकृति की सुकुमारता ने मिलकर कवि को कोमल भावों का गायक बना दिया। पंत जी को उनके ऊपर युग चेतना का प्रभाव भी पड़ा।
गांधी जी के आंदोलन से प्रभावित होकर, उन्होंने कॉलेज का अध्ययन छोड़ दिया। संस्कृत, हिंदी, बंगाली, और अंग्रेजी भाषाओं के अध्ययन के माध्यम से पंत जी ने अपनी प्रतिभा को विकसित किया। उनका काव्य शैली में अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि कीट्स का भी प्रभाव रहा है, साथ ही विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर का भी। 28 दिसंबर 1977 को पंत जी का निधन हो गया।
सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएं:
रचनाएँ- पंत जी ने अपने युग की मांग के अनुसार अनेक रचनाओं की रचना की है। उनकी इन रचनाओं में प्रत्येक युग की प्रवृत्ति का सफल अंकन हुआ है। उन्होंने कविता के साथ-साथ गद्य के क्षेत्र में भी अपने प्रतिभा का परिचय दिया है। इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी, सोवियत लैंड नेहरू तथा पद्मभूषण पुरुस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
काव्य- वीणा, ग्रंथि पल्लव, गुंजन, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूलि, उत्तरा, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, सत्काम।
नाटक- रजत-रश्मि, ज्योत्स्ना, शिल्पी।
उपन्यास- हार।
कहानियां एवं स्मृतियां – पांच कहानियां, साठ वर्ष, एक रेखांकन।
सुमित्रानंदन पंत की काव्यगत विशेषताएँ
काव्यगत विशेषताएँ- पंत जी के काव्य को उनके युग का आईना माना जा सकता है। उनके काव्य में प्रकृति के विविध रूपों का विवरण है। उन्होंने छायावादी काव्य का निर्माण किया है। इन काव्य में रहस्यमयी अनुभवों का विवरण है, जिसके बाद विचारों की और अंत में भावनाओं की स्थिति आती है। पंत जी की भाषा शुद्ध हिंदी है, जो कि संस्कृत की आधारिक है। वे प्रगतिवादी और मानवतावादी थे, और उनके काव्य में काव्यरस का सफल चित्रण किया गया है।
सुमित्रानंदन पंत की भाषा शैली:
भाषा-शैली- डॉ० नगेंद्र के अनुसार, ‘पंत कलाकार के रूप में प्रमुख हैं। उनके काव्य में सबसे पहले कला और उसके शब्दों का प्रभाव होता है। भाषा में कोमलता और संगीतात्मकता होती है। पंत जी ने भाषा की सुंदरता को बढ़ाने के लिए अलंकारों का भी प्रयोग किया है।
सुमित्रानंदन पंत की पहली कविता “पल्लव” है।
महाकाव्य लोकायतन की रचना कवि सुमित्रानंदन पन्त ने की है।
सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई, 1900 को उत्तर प्रदेश के कौसानी ग्राम में हुआ था।
सुमित्रानंदन पंत की दो रचनाएं हैं। उनकी पहली रचना ‘गुनगुना है गाय’ है जो 1935 में प्रकाशित हुई थी। दूसरी रचना ‘पलायन’ है जो 1946 में प्रकाशित हुई थी।
सुमित्रानंदन पंत छायावादी युग के कवि थे।
सुमित्रानंदन पंत के पिता का नाम गंगादत्त पंत एवं माता का नाम सरस्वती देवी था।
सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु 28 दिसंबर 1977 को हुई।