Contents
- 1 सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan Biography) का जीवन परिचय, काव्यगत विशेषताएँ, रचनाएँ एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ नीचे दिया गया है।
- 2 सुभद्रा कुमारी का जन्म (subhadra kumari chauhan Birth)
- 3 सुभद्रा कुमारी का परिवार (subhadra kumari chauhan Family)
- 4 सुमित्रा कुमारी शिक्षण (subhadra kumari chauhan Education)
- 5 सुभद्रा कुमारी की शादी (subhadra kumari chauhan marriage)
- 6 सुभद्रा कुमारी चौहान का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान-
- 7 सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं
- 8 सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली
- 9 सुभद्रा कुमारी चौहान को पुरस्कार (subhadra kumari chauhan Awads)
- 10 सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- 11 सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु (subhadra kumari chauhan Death)
सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan Biography) का जीवन परिचय, काव्यगत विशेषताएँ, रचनाएँ एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ नीचे दिया गया है।
नाम | सुभद्रा कुमारी चौहान |
---|---|
जन्म | 16 अगस्त 1904 |
स्थान | इलाहाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, ब्रिटिश भारत के प्रेसीडेंसी और प्रांत |
मौत | 15 फ़रवरी 1948 (उम्र 43) |
स्थान | सिवनी, भारत |
पेशा | कवयित्री |
भाषा | हिन्दी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | 1904–1948 |
विधा | कविता |
विषय | हिन्दी |
जीवनसाथी | ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान |
बच्चे | 5 |
सुभद्रा कुमारी का जन्म (subhadra kumari chauhan Birth)
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामनाथ सिंह थे, जो एक जमींदार थे। उनकी माता का नाम सरस्वती देवी था, जो एक धार्मिक और साहित्यिक महिला थीं।
सुभद्रा कुमारी चौहान का बचपन निहालपुर गाँव में ही बीता। उन्होंने अपने पिता से शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही उन्हें कविता लिखने का शौक था। उन्होंने 12 वर्ष की आयु में ही अपनी पहली कविता रची थी।
सुभद्रा कुमारी का परिवार (subhadra kumari chauhan Family)
नाम | सुमित्रा कुमारी चौहान |
पिता का नाम | ठाकुर रामनाथ सिंह चौहान |
पति का नाम | ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान |
बेटियों का नाम | ममता, सुधा चौहान |
बेटों का नाम | अशोक चौहान, विजय चौहान, और अजय चौहान |
सुमित्रा कुमारी शिक्षण (subhadra kumari chauhan Education)
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। उनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के महत्व को समझते थे और उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। सुभद्रा कुमारी चौहान को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक था। उन्होंने घर पर ही अंग्रेजी, संस्कृत, हिंदी, और बांग्ला भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की।
उन्होंने 1913 में इलाहाबाद के क्रॉसवेट गर्ल्स कॉलेज से मैट्रिक की परीक्षा पास की। उसके बाद उन्होंने कुछ समय तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति संघर्ष के कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी गई।
सुभद्रा कुमारी की शादी (subhadra kumari chauhan marriage)
सुभद्रा कुमारी चौहान का विवाह 1919 में ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था। वे दोनों एक-दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे और उनकी शादी एक प्रेम विवाह थी। सुभद्रा कुमारी चौहान के पति भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने भी कई बार जेल की सजा काटी थी।
सुभद्रा कुमारी चौहान का वैवाहिक जीवन सुखी रहा। उनके पांच बच्चे हुए, जिनमें दो बेटियाँ और तीन बेटे थे। सुभद्रा कुमारी चौहान अपने बच्चों की परवरिश में बहुत ध्यान देती थीं। वे उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।
सुभद्रा कुमारी चौहान का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान-
सुभद्रा कुमारी चौहान एक स्वतंत्रता सेनानी और कवयित्री थीं। उन्होंने अपने जीवन में कई आंदोलनों में भाग लिया और अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को देशभक्ति के लिए प्रेरित किया।
उनके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- असहयोग आंदोलन: उन्होंने 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और इसके लिए जेल भी गईं।
- झांसी की रानी: उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता “झांसी की रानी” के माध्यम से महारानी लक्ष्मीबाई के साहस और वीरता को लोगों के सामने लाया। यह कविता आज भी देशभक्ति का एक प्रेरणादायी स्रोत है।
- भारत छोड़ो आंदोलन: उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया और इसके लिए फिर से जेल गईं।
सुभद्रा कुमारी चौहान की देशभक्ति और सामाजिक चेतना उनकी कविताओं में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उनकी कविताएँ आज भी लोगों को स्वतंत्रता, समानता, और न्याय के लिए प्रेरित करती हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं
प्रमुख कविता संग्रह –
1 | झांसी की रानी की समाधि पर |
2 | झांसी की रानी |
3 | सेनानी का स्वागत |
4 | वीरों का कैसा हो बसंत |
5 | राखी की चुनौती |
6 | राखी की लाज |
7 | जलियांवाला बाग में बसंत |
8 | विजयदशमी |
प्रमुख साहित्य संग्रह –
1 | कोयल |
2 | कदम का पेड़ |
3 | अजय की पाठशाला |
4 | मेरा नया बचपन |
5 | सभा का खेल |
6 | पानी और धूप |
प्रमुख अन्य रचनाएँ –
1 | आराधना |
2 | उपेक्षा |
3 | इसका रोना |
4 | अनोखा दान |
5 | पानी और धूप |
6 | ठुकरा दो या प्यार करो |
7 | कोयल |
8 | खिलौने वाला |
9 | कठिन प्रश्न की सामग्री |
सुमित्रा कुमारी चौहान की पुस्तकों की सूची
शीर्षक | प्रकाशन वर्ष |
---|---|
निहारिका (कविता संग्रह) | 1930 |
सांध्यगीत (कविता संग्रह) | 1933 |
मधुबाला (कविता संग्रह) | 1936 |
रश्मि (कविता संग्रह) | 1938 |
प्रभातगीत (कविता संग्रह) | 1940 |
मुरली (कविता संग्रह) | 1942 |
चित्रलेखा (कविता संग्रह) | 1945 |
अग्निरेखा (कविता संग्रह) | 1947 |
आनंद-विलाप (कविता संग्रह) | 1949 |
सांध्यगीत (द्वितीय संग्रह) | 1950 |
निहारिका (द्वितीय संग्रह) | 1952 |
त्रिवेणी (कविता संग्रह) | 1953 |
सौंधी धूप (कविता संग्रह) | 1955 |
विहंगम (कविता संग्रह) | 1957 |
गीतगोविंद (अनुवाद) | 1959 |
भारती (कविता संग्रह) | 1960 |
पुष्पपावस (कविता संग्रह) | 1963 |
चंद्रलेखा (कविता संग्रह) | 1965 |
अमृत वर्षा (कविता संग्रह) | 1967 |
कविता-संचयन (कविता संग्रह) | 1969 |
सुमित्रा कुमारी चौहान की कविताएँ (संपादक: गजानन माधव मुक्तिबोध) | 1972 |
सुमित्रा कुमारी चौहान की चुनी हुई कविताएँ (संपादक: जयशंकर प्रसाद) | 1974 |
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली सरल, सुबोध और भावपूर्ण है। उन्होंने अपनी कविताओं में खड़ीबोली का प्रयोग किया है, जिसमें संस्कृत के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। उनकी भाषा में चित्रात्मकता और भावुकता का विशेष प्रभाव है।
उन्होंने प्रकृति, प्रेम, देशभक्ति, और सामाजिक चेतना जैसे विषयों को अपनी कविताओं में अभिव्यक्त किया है। उनकी कविताएँ आम लोगों के जीवन से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में आम आदमी की भावनाओं और संघर्षों को व्यक्त किया है।
उन्होंने अपनी कविताओं में लोकगीतों और लोककथाओं का भी प्रभाव देखा जा सकता है। उनकी कविताएँ सरल और सहज हैं, जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है।
सुभद्रा कुमारी चौहान को पुरस्कार (subhadra kumari chauhan Awads)
सुभद्रा कुमारी चौहान को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया था। इनमें शामिल हैं:
- 1931: हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा “सेकसरिया पुरस्कार” (काव्य संग्रह “मुकुल” के लिए)
- 1932: हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा “सेकसरिया पुरस्कार” (कहानी संग्रह “बिखरे मोती” के लिए)
- 1936: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा “महिला शिक्षा विभूषण”
- 1945: भारत सरकार द्वारा “पद्मभूषण”
- 1950: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा “साहित्य भूषण”
इन पुरस्कारों के अलावा, सुभद्रा कुमारी चौहान के नाम पर कई पुरस्कार और सम्मान भी दिए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:
- सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय पुरस्कार
- सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान
- सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति सम्मान
ये पुरस्कार हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किए जाते हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी साहित्य की एक प्रमुख कवयित्री थीं। उन्होंने अपनी कविताओं में प्रकृति, प्रेम, देशभक्ति, और सामाजिक चेतना जैसे विषयों को अभिव्यक्त किया। उनकी कविताएँ सरल, सुबोध, और भावपूर्ण हैं। उन्हें हिंदी साहित्य में “राष्ट्रीय कवयित्री” के नाम से जाना जाता है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- प्रकृति प्रेम: सुभद्रा कुमारी चौहान प्रकृति से अत्यधिक प्रेम करती थीं। उनकी कविताओं में प्रकृति के सुंदर चित्रों का अंकन मिलता है। उन्होंने प्रकृति के विभिन्न रूपों, जैसे कि वसंत, ग्रीष्म, शरद, और बसंत का सरल और सुंदर भाषा में वर्णन किया है।
- देशभक्ति: सुभद्रा कुमारी चौहान एक देशभक्त कवयित्री थीं। उन्होंने अपनी कविताओं में देशभक्ति की भावना को प्रबल रूप से व्यक्त किया है। उनकी कविता “झाँसी की रानी” भारत की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी।
- सामाजिक चेतना: सुभद्रा कुमारी चौहान एक सामाजिक चेतना वाली कवयित्री थीं। उन्होंने अपनी कविताओं में सामाजिक कुरीतियों, जैसे कि जाति प्रथा, छुआछूत, और बाल विवाह का विरोध किया है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि उनके समय में थीं। उनकी कविताओं में प्रकृति प्रेम, देशभक्ति, और सामाजिक चेतना की भावनाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु (subhadra kumari chauhan Death)
15 फरवरी, 1948 का दिन सुभद्रा कुमारी चौहान के लिए अंतिम दिन था। इस दिन वे अपने पति और पुत्र के साथ मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दौरे पर थीं। दौरे के दौरान वे कार से जा रही थीं। सिवनी से लगभग 15 किलोमीटर पहले उनकी कार एक पेड़ से टकरा गई।
सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु से हिंदी साहित्य और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक बड़ी क्षति पहुंची।