शेखर जोशी का जीवन परिचय | Shekhar Joshi Ka Jivan Parichay

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शेखर जोशी (Shekhar Joshi Biography) का जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएं, रचनाएँ एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। शेखर जोशी का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।

नामशेखर जोशी
जन्म10 सितम्बर 1932
जन्म स्थानओलिया गांव, अल्मोड़ा, भारत
मृत्यु4 अक्टूबर 2022 (उम्र 90)
व्यवसायउपन्यासकार, कवि
प्रमुख रचनाएँकोसी का घटवार, साथ के लोग, दाज्यू, हलवाहा, नौरंगी बीमार है।

शेखर जोशी का जीवन परिचय in short:

जीवन परिचय – हिंदी साहित्य के नई कहानी आंदोलन के प्रमुख कहानीकार शेखर जोशी का जन्म सन् 1932 में अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में हुआ। 20वीं शताब्दी के छठे दशक में हिंदी साहित्य – जगत् में एक साथ कई युवा कहानीकारों ने अलग रंग-ढंग की कहानियाँ लिखीं। धीरे-धीरे इन्हीं कहानियों से मिलती-जुलती अनेक कहानियाँ लिखी जाने लगीं जिन्होंने हिंदी कहानी को एक नया मोड़ दिया।

इस मोड़ को ‘नई कहानी आंदोलन’ की संज्ञा दी गई। शेखर जोशी की कहानियाँ भी नई कहानी आंदोलन के प्रगतिशील पक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनकी कहानियों का आधार समाज का मेहनतकश और सुविधाहीन वर्ग है। इन्होंने अपनी कहानियों में अपने समकालीन जनजीवन की बहुविध विडंबनाओं को बड़े सहज ढंग से उकेरा है।

शेखर जोशी की रचनाएं:

रचनाएँ – कहानीकार शेखर जोशी की रचनाओं में लेखन में अर्थ की गहराई का दिखावा जितना कम है, वास्तविक अर्थ-गांभीर्य उतना ही अधिक है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

कहानी-संग्रह – कोसी का घटवार, साथ के लोग, दाज्यू, हलवाहा, नौरंगी बीमार है।

शब्द चित्र-संग्रह – एक पेड़ की याद।

शेखर जोशी की साहित्यिक विशेषताएँ:

शेखर जोशी एक प्रसिद्ध कवि और कहानीकार थे, जिन्होंने हिंदी के अलावा अंग्रेज़ी, पोलिश और रूसी जैसी अन्य भाषाओं में भी अपनी कहानियाँ लिखी थी। उनकी एक लोकप्रिय कहानी ‘दाज्यू’ को बाल-फिल्म सोसायटी ने एक फिल्म में बदल दिया था। शेखर जोशी ने साहित्य और समाज के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया था। उन्हें ‘पहल’ सम्मान से भी अलंकृत किया गया था।

शेखर जोशी की भाषा शैली:

भाषा-शैली- शेखर जोशी ने अपनी कहानियों में अत्यंत सहज और आडंबरहीन भाषा-शैली का प्रयोग करते हुए सामाजिक यथार्थ के सूक्ष्म बिंदुओं पर प्रकाश डाला है। उनकी भाषा में प्रवाहमयता और रोचकता के साथ-साथ चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। ‘गलता लोहा’ कहानी में वातावरण को प्रस्तुत करने में भी भाषा पूर्ण सक्षम दिखाई देती है। जैसे—गोपाल सिंह की दुकान से हुक्के का आखिरी कश खींचकर त्रिलोक सिंह स्कूल की चहारदीवारी में उतरते हैं।

थोड़ी देर पहले तक धमाचौकड़ी मचाते, उठा-पटक करते और बांज के पेड़ों की टहनियों पर झूलते बच्चों को जैसे साँप सूंघ गया है। कड़े स्वर में वह पूछते हैं, ‘प्रार्थना कर ली तुम लोगों ने’ उनकी भाषा में तत्सम तद्भव और देशज शब्दों की प्रधानता है।

शेखर जोशी की शैली में रोचकता और विवरण का संतुलन है। कुछ स्थानों पर शैली में संवादों का भी प्रयोग हुआ है, जिससे कहानी को गतिमान बनाया गया है। इस तरह शेखर जोशी की भाषा-शैली सरल, सहज, प्रवाहमयी और प्रसंगोचित है।

शेखर जोशी की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी हैं?

शेखर जोशी की प्रमुख रचनाएं हैं – दाज्यू, कोसी के घटवार, हलवाहा, साथ के लोग, मेंटल, प्रतिनिधि कहानियाँ, बच्चे का सपना, बदबू, चींटी के पर, अथ मूषक उवाच, मेरा पहाड़, नौरंगी बीमार है, एक पेड़ की याद (शब्दचित्र संग्रह) आदि।

शेखर जोशी का जन्म कब हुआ था?

शेखर जोशी का जन्म सन् 1932 में अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में हुआ था।

शेखर जोशी को कौन सा सम्मान मिला था?

हिंदी संस्थान द्वारा ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी पुरस्कार’ (1987) तथा ‘साहित्य भूषण’ (1995) से सम्मानित। प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘पहल सम्मान’ (1997) से सम्मानित।

शेखर जोशी की मृत्यु कब हुई थी?

शेखर जोशी की मृत्यु 4 अक्तूबर 2022 हुई थी

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