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सत्यजित रॉय (Satyajit Ray Biography) का जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएं, रचनाएँ, प्रमुख फ़िल्में एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। सत्यजित रॉय का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।
विवरण | जानकारी |
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जन्म | 2 मई 1921 |
जन्म स्थान | कलकत्ता |
पूरा नाम | सत्यजीत राय सुकुमार राय |
अन्य नाम | सत्यजीत रे, शॉत्तोजित रॉय |
पिता का नाम | सुकुमार राय (मृत्यु 1994) |
माता का नाम | सुप्रभा राय (गायिका) |
पत्नी का नाम | विजया दास (अभिनेत्री तथा गायिका) |
पुत्र का नाम | सन्दीप राय (निर्देशक) |
परिवार | एक बंगाली परिवार से थे। |
शादी | सत्यजित राय का विवाह विजया दास के साथ 1948 में हुआ था। |
मृत्यु | 23 अप्रैल 1992 को कलकत्ता में |
सत्यजीत राय का जीवन परिचय in short:
जीवन परिचय – भारतीय सिनेमा को कलात्मक ऊँचाई प्रदान करने वाले सत्यजित रॉय का जन्म सन् 1921 में पश्चिम बंगाल (कोलकाता) में हुआ। सत्यजित रॉय का नाम फ़िल्मों में पटकथा लेखन, संगीत- संयोजन तथा निर्देशन के क्षेत्र में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। इन्होंने अपना पूर्ण जीवन ही फ़िल्म जगत् में लगाया है। सन् 1955 में इनके निर्देशन में पहली फीचर फिल्म पथेर पांचाली बांग्ला में बनी इस फ़िल्म से श्री रॉय को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।
इन्होंने अपनी फ़िल्मों के माध्यम से फ़िल्म विधा को समृद्ध करने के साथ-साथ निर्देशकों और आलोचकों के बीच एक समझ विकसित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इनकी ज्यादातर फ़िल्में साहित्यिक कृतियों पर आधारित हैं। इनके पसंदीदा साहित्यकारों में बांग्ला के विभूति भूषण बंदोपाध्याय से लेकर प्रेमचंद तक हैं। फ़िल्म जगत् के अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से अलंकृत इस महान् विभूति का सन् 1992 में देहांत हो गया।
सत्यजीत राय की रचनाएँ:
रचनाएँ- सत्यजित रॉय ने बांग्ला में बच्चों एवं किशोरों के लिए लेखन का काम भी बड़ी संजीदगी से किया। इनकी लिखी कहानियों में जासूसी रोमांच के साथ-साथ पेड़-पौधे तथा पशु-पक्षी का सहज संसार भी है। इनकी प्रमुख रचनाएँ प्रो० शंकु के कारनामे, सोने का किला, जहाँगीर की स्वर्णमुद्रा, बादशाही अँगूठी आदि हैं।
प्रमुख फ़िल्में- अपराजिता, पथेर पांचाली, अपू का संसार, जल्साघर, देवी चारूलता, महानगर, गोपी गायेन बाका बायेन (बांग्ला) शतरंज के खिलाड़ी, सद्गति हिंदी।
फ़िल्मों में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए श्री रॉय को फ्रांस का लेजन डी ऑनर पूरे जीवन की उपलब्धियों पर ऑस्कर तथा भारतरत्न सहित फ़िल्म जगत् का प्रत्येक महत्त्वपूर्ण सम्मान मिला।
सत्यजीत राय की साहित्यिक विशेषताएं:
सत्यजीत राय (Satyajit Ray) एक महान साहित्यिक, फिल्म निर्माता, फिल्म निर्देशक, और चित्रकार थे। वे बांग्ला भाषा के महानतम रचनाकारों में से एक माने जाते हैं और उनका योगदान भारतीय साहित्य और सिनेमा में अविस्मरणीय है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण साहित्यिक विशेषताएं हैं जो सत्यजीत राय को एक अनूठे साहित्यिक रचनाकार बनाती हैं:
शृंगारिक भावनाएं (Romantic Sensibilities): सत्यजीत राय के लेखन में शृंगारिक भावनाओं को व्यक्त करने की खास क्षमता थी। उनकी कहानियों में प्रेम, संवाद, और रिश्तों के मामूले संबंधों को विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
वास्तविकता का पोर्ट्रेट (Realistic Portrayal): उनकी रचनाएं वास्तविकता के क्षेत्र में अपनी दमदार पोर्ट्रेट बनाने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भारतीय समाज की विभिन्न वर्गों के लोगों के जीवन को सामान्यता से अच्छे से समझा और उनके लेखन में वास्तविकता को जीवंत किया।
चतुराई और विनोद (Humor and Wit): सत्यजीत राय के लेखन में चतुराई और विनोद का भरपूर अंश होता है। उनकी कहानियों में हास्य और विनोद के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों का कट्टरपंथी विमर्श किया जाता है।
विविधता (Versatility): सत्यजीत राय विभिन्न विषयों पर लिखने में समर्थ थे, उनकी रचनाएं उपन्यास, कहानी, टीकाकार, नाटक, जीवनी, बाल-कथा, विज्ञान-कथा आदि श्रेणियों में उपलब्ध हैं।
कला और संस्कृति का प्रेम (Love for Art and Culture): सत्यजीत राय एक शिक्षित और संस्कृतिसंवेदी व्यक्तित्व थे, जिनका कला, संस्कृति, और साहित्य प्रति गहरा आदर था। उनकी रचनाओं में भारतीय विरासत और लोककथाओं के प्रति उनका सम्मान दिखता है।
सामाजिक-राजनीतिक चिंतन (Social and Political Concerns): उनके लेखन में समाज, राजनीति, और राष्ट्रीय चिंतन को उजागर करने का एक गहरा पक्ष है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चिंतन किया।
सत्यजीत राय को पुरस्कार और सम्मान :-
सत्यजीत राय को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा गया। उनमें से कुछ मुख्य पुरस्कार और सम्मान निम्नलिखित हैं:
- सहित्य अकादमी पुरस्कार: सत्यजीत राय को 1986 में उनके उपन्यास “सेतुसंधान” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- पद्मश्री: सत्यजीत राय को भारत सरकार द्वारा 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। यह भारत का तृतीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो साहित्य, कला, सामाजिक सेवा, विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रदान किया जाता है।
- वासुदेवा वामदेव शास्त्री पुरस्कार: सत्यजीत राय को 2011 में उनके लेखनी से वासुदेवा वामदेव शास्त्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- सरस्वती सम्मान: भारतीय साहित्यिक संघ द्वारा संचालित वासंतिक साहित्य महोत्सव के दौरान सत्यजीत राय को सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया जाता है।
- बिहार रत्न: सत्यजीत राय को बिहार सरकार द्वारा बिहार रत्न से सम्मानित किया गया था।
सत्यजीत राय को इन पुरस्कारों और सम्मानों से साहित्यिक जगत में उच्च सम्मान प्राप्त हुआ और उनका साहित्य लाखों लोगों के दिलों में बसा है।
सत्यजीत राय की भाषा-शैली:
भाषा-शैली-‘अपू के साथ ढाई साल सत्यजित रॉय का लिखा एक संस्मरण है। इसमें उन्होंने ‘पथेरपांचाली’ फ़िल्म के निर्माण से जुड़ी अनेक स्मृतियों को शब्दों में पिरोया है। फ़िल्म निर्माण से संबंधित होने के कारण इस पाठ में भी फ़िल्म जगत् से जुड़ी शब्दावली का प्रयोग किया गया है। जैसे सीन, साउंड रिकॉर्डिस्ट शूटिंग, शॉटस, कैमरा आदि भाषा में कहीं-कहीं तत्सम तद्भव और देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं आंचलिक शब्दों का भी प्रयोग है। जैसे—’नेबूर पाता करमया, हे वृष्टी घरे जा!’ सामान्य तौर पर भाषा-शैली अत्यंत सरल और सहज है। इसमें प्रवाहमयता का गुण विद्यमान है।
भाषा में रोचकता होने के कारण कहीं भी वह नीरस दिखाई नहीं देती है। देशकाल और वातावरण का संपूर्ण चित्रण करने में भाषा-शैली पूरी तरह से सक्षम है। जैसे “शूटिंग की दृष्टि से गोपाल गाम की तुलना में बोडाल गाँव हमें अधिक उपयुक्त लगा। अपू-दुर्गा का घर, अपू का स्कूल, गाँव के मैदान, खेड, पुकुर,आम के पेड़, बाँस की झुरमुट ये सभी बातें बोडाल गाँव में और आस-पास हमें मिली। अब उस गाँव में बिजली आ गई है, पक्के घर, पक्के रास्ते बने हैं। उस जमाने में वे नहीं थे।
इस पाठ की शैली वर्णनात्मक एवं व्याख्यात्मक है। कहीं-कहीं संवादात्मक शैली का भी प्रयोग किया गया है।
उनकी पहली फिल्म “पथेर पांचाली” जो कि 1955 में रिलीज़ हुई थी।
भारतीय सिनेमा में, उन्हें अपनी श्रेष्ठ कथाएँ और साहित्यिक आधारित फिल्में बनाने के लिए पहचान मिली।
“पथेर पांचाली” को 1956 में कैन्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल में ‘बेस्ट हुमन दॉक्यूमेंटरी’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
फिल्म “अपुर संसार” एक छोटे गाँव के छोटे से लड़के अपुर की कहानी है जो अपनी माँ के साथ रहता है और अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी दुनिया में एक नई दिशा खोजता है।
उनकी फिल्म “अपराजितो” ने 1957 में बॉब एम्स्टरडम अवार्ड भी जीता था।
सत्यजित रॉय का निधन 1992 में हुआ था।