लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी (जन्म, शिक्षा, करियर, मृत्यु) | Lal Bahadur Shastri Biography | (Birth, Education, Political Career and Death) in Hindi
Lal Bahadur Shastri | आजादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाने वाले भारत माता के सच्चे सपूत लाल बहादुर शास्त्री एक महान व्यक्तित्व थे. वे भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री थे. नेहरू जी की मृत्यु हो जाने के कारण शास्त्री जी को भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था. वर्ष 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध में उन्होंने देश का नेतृत्व किया था. शास्त्री जी का व्यक्तित्व बड़ा ही सादगी पूर्ण और साहसिक था. शास्त्री जी ने ही जय जवान जय किसान का नारा उद्घोष कर देश को एकजुट करने का प्रयास किया था. अपने अभूतपूर्व कार्य के लिए इन्हें वर्ष 1966 में देश के सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न से अलंकृत किया गया था.
Lal Bahadur Shastri
नाम (Name) | लाल बहादुर शास्त्री |
जन्म (Birth Date) | 2 अक्टूबर 1904 |
जन्म स्थान (Birth Place) | मुगलसराय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव |
माता का नाम (Mother Name) | राम दुलारी |
मृत्यु (Death) | 11 जनवरी 1966 |
पत्नी का नाम (Wife Name) | ललिता देवी |
बच्चे (Children) | 4 लड़के, 2 लड़कियां |
राजनैतिक पार्टी (Political Party) | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
Contents
- 1 लाल बहादुर शास्त्री जन्म और प्रारंभिक जीवन (Lal Bahadur Shastri Birth and Initial Life)
- 2 राजनैतिक जीवन (Lal Bahadur Shastri Political Career)
- 3 लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु (Lal Bahadur Shastri Death)
- 4 लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक कहानी | Interesting Story About Lal Bahadur Shastri in Hindi
- 5 धमकी कैसे चुकाई गई थी?
लाल बहादुर शास्त्री जन्म और प्रारंभिक जीवन (Lal Bahadur Shastri Birth and Initial Life)
लाल बहादुर शास्त्री | Lal Bahadur Shastri | का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तरप्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. इनके पिताजी का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था. इनके पिताजी शिक्षक के रूप में कार्य करते थे इसलिए उन्हें मुंशी जी कह कर बुलाते थे. इनकी माता का नाम रामदुलारी था. इनकी माता गृहस्थ और धार्मिक महिला थी. लाल बहादुर शास्त्री जब सिर्फ 1 वर्ष के थे तभी इनके पिताजी का निधन हो गया था.
Lal Bahadur Shastri Biography
इसके बाद इनकी माताजी ने लाल बहादुर शास्त्री और अपनी दो बेटियों का पालन-पोषण स्वयं ही किया. लाल बहादुर शास्त्री की प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में ही पूर्ण हुई. इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई हरिश्चंद्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ से की. उन्होंने संस्कृत भाषा में अपना स्नातक पूर्ण किया था. जिसके बाद उन्होंने शास्त्री की उपाधि प्राप्त की थी. तभी से इनका नाम के पीछे शास्त्री शब्द लगाया जाने लगा. वर्ष 1928 में इनका विवाह ललिता शास्त्री के साथ हुआ. जिससे उनकी 6 संताने हुई थी.
राजनैतिक जीवन (Lal Bahadur Shastri Political Career)
वर्ष 1921 में सिर्फ 17 वर्ष की उम्र में शास्त्रीजी असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ ब्रिटिश सरकार का विरोध किया था. स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए उन्होंने अपना स्कूल छोड़ दिया था. जिसके बाद वर्ष 1921 में वे लाला लाजपत राय द्वारा बनाई गई “ द सर्विस ऑफ द पीपल सोसायटी” से जुड़ गए थे. वर्ष 1930 में वे गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़े और उन्होंने पूरे देश में लोगों को ब्रिटिश शासन को करो का भुगतान न करने के लिए उद्बोधन दिए. इसके बाद इन्होने दांडी यात्रा, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय लाल बहादुर शास्त्री जी ने “करो या मरो” के नारे को परिवर्तित कर “ मरो नहीं मारो” कर देशवासियों में उत्साह भर कर आंदोलन में भाग लेने के लिए आह्वान किया था. इस दौरान उन्हें 1 वर्ष के लिए जेल जाना पड़ा था.
आजादी के बाद जब गोविंद बल्लभ पंत को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था तब | Lal Bahadur Shastri | लाल बहादुर शास्त्री को उनकी अद्भुत प्रशासनिक क्षमता और संगठन कौशल के आधार पर संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. बाद में उन्हें पंत जी के मंत्रिमंडल में पुलिस विभाग और परिवहन मंत्री बनाया गया था.
आजाद भारत में | Lal Bahadur Shastri | लाल बहादुर शास्त्री ने पहले आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के महासचिव की भूमिका निभाई थी. इस दौरान कांग्रेस ने अभूतपूर्व जीत दर्ज की थी. वर्ष 1952 में हुए आम चुनाव में लाल बहादुर शास्त्री को केंद्रीय मंत्रिमंडल में नियुक्त किया गया था. इस दौरान उन्होंने रेलवे मंत्री के रूप में कार्य किया था. वर्ष 1926 में शास्त्री जी ने एक रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी को लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद उन्हें भारत के गृह मंत्री के रूप में भी नियुक्त किया गया था. इन्होंने वर्ष 1962 में हुए चुनाव के लिए कांग्रेस का प्रचार प्रसार किया था. वह हमेशा पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा के साथ कार्य करते थे.
वर्ष 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात लाल बहादुर शास्त्री को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया. वर्ष 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था. इस दौरान तात्कालिक राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने एक आकस्मिक मीटिंग बुलाई थी. जिसमें सेनाओं के रक्षा प्रमुख और शास्त्री जी को निमंत्रण दिया गया था. इस दौरान शास्त्री जी ने देश का नेतृत्व किया था.
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु (Lal Bahadur Shastri Death)
लाल बहादुर शास्त्री | Lal Bahadur Shastri | की मृत्यु को लेकर आज भी संशय बना हुआ है. 11 जनवरी 1966 को रहस्यमय तरीके से लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई. कुछ लोगों का मानना है कि इनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी परंतु उनका पोस्टमार्टम नहीं किया गया था क्योंकि उन्हें जहर दिया गया था. जो उनके दुश्मनों की एक गहरी साजिश थी. जिसको लेकर आज भी अलग अलग मत बने हुए है.
Lal Bahadur Shastri Biography
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक कहानी | Interesting Story About Lal Bahadur Shastri in Hindi
दो घंटे युद्ध और चलता. तो भारत की सेना ने लाहौर तक कब्जा कर लिया होता. लेकिन तभी पाकिस्तान को लगा कि जिस रफ्तार से भारत की सेना आगे बढ़ रही हमारा तो पूरा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. तभी पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा कि वो किसी तरह से युद्ध रुकवा दे. अमेरिका जानता था कि शास्त्री जी इतनी जल्दी नहीं मानने वाले. क्योंकि वो पहले भी दो -तीन बार भारत को धमका चुका था. | Lal Bahadur Shastri |
धमकी कैसे चुकाई गई थी?
अमेरिका से गेहूं आता था भारत के लिए PL 48 स्कीम के अंडर PL मतलब public law 48. जैसे भारत मे सविधान मे धराए होती है ऐसे अमेरिका मे PL होता है . तो बिलकुल लाल रंग का सड़ा हुआ गेंहू अमेरिका से भारत मे आता था और ये समझौता पंडित नेहरू ने किया था.
जिस गेंहू को अमेरिका मे जानवर भी नहीं खाते थे उसे भारत के लोगो के लिए आयात करवाया जाता था. आपके घर मे कोई बुजुर्ग हो आप उनसे पूछ सकते हैं कितना घटिया गेहूं होता था वो.तो अमेरिका ने भारत को धमकी दी कि हम भारत को गेहूं देना बंद कर देंगे. तो शास्त्री जी ने कहा हाँ कर दो . फिर कुछ दिन बाद अमेरिका का बयान आया कि अगर भारत को हमने गेंहू देना बंद कर दिया तो भारत के लोग भूखे मर जाएँगे.शास्त्री जी ने कहा हम बिना गेंहू के भूखे मारे या बहुत अधिक खा के मरे. तुम्हें क्या तकलीफ है .??? हमे भूखे मारना पसंद होगा बेशर्ते तुम्हारे देश का सड़ा हुआ गेंहू खाके. एक तो हम पैसे भी पूरे दे ऊपर से सड़ा हुआ गेहूं खाये. नहीं चाहीये तुम्हारा गेंहू.
फिर शास्त्री ने दिल्ली मे एक रामलीला मैदान मे लाखों लोगों से निवेदन किया कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है. ऐसे हालातो मे देश को पैसे कि बहुत जरूरत पड़ती है . सब लोग अपने फालतू खर्चे बंद करे . ताकि वो domestic saving से देश के काम आए या आप सीधे सेना के लिए दान दे. और हर व्यक्ति सप्ताह से एक दिन सोमवार का वर्त जरूर रखे.
तो शास्त्री जी के कहने पर देश के लाखो लोगों ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया. हुआ ये कि हमारे देश मे ही गेहु बढ्ने लगा और शास्त्री जी भी खुद सोमवार का व्रत रखा रखते थे.
Lal Bahadur Shastri Biography
शास्त्री जी ने जो लोगो से कहा पहले उसका पालन खुद किया. उनके घर मे बाई आती थी. जो साफ सफाई और कपड़े धोती थी. तो शास्त्री जी उसको हटा दिया और बोला. देशहित के लिए मैं इतना खर्चा नहीं कर सकता. मैं खुद ही घर कि सारी सफाई करूंगा क्योंकि पत्नी ललिता देवी बीमार रहा करती थी और शास्त्री अपने कपड़े भी खुद धोते थे उनके पास सिर्फ दो जोड़ी धोती कुरता ही थी.
| Lal Bahadur Shastri |
उनके घर मे एक ट्यूटर भी आया करता था जो उनके बच्चो को अंग्रेजी पढ़ाया करता था. तो शास्त्री जी ने उसे भी हटा दिया. तो उसने शास्त्री जी ने कहा कि आपका अंग्रेजी मे फेल हो जाएगा. तब शास्त्री जी ने कहा होने दो. देश के हजारो बच्चे अंग्रेजी मे ही फेल होते है तो इसी भी होने दो. अगर अंग्रेज़ हिन्दी मे फेल हो सकते है तो भारतीय अंग्रेजी मे फेल हो सकते हैं . ये तो स्वाभाविक है क्योंकि अपनी भाषा ही नहीं है ये.
एक दिन शास्त्री जी पत्नी ने कहा कि आपकी धोती फट गई है आप नहीं धोती ले आईये. शास्त्री जी ने कहा बेहतर होगा कि सोई धागा लेकर तुम इसको सिल दो . मैं नई धोती लाने की कल्पना भी नहीं कर सकता. मैंने सब कुछ छोड़ दिया है पगार लेना भी बंद कर दिया है. और जितना हो सके कम से कम खर्चे मे घर का खर्च चलाओ.
| Lal Bahadur Shastri |
अंत मे शास्त्री जी युद्ध के बाद समझौता करने ताशकंद गए और फिर जिंदा कभी वापिस नहीं लौट पाये. पूरे देश को बताया गया की उनकी मृत्यु हो गई जबकि उनकी ह्त्या कि गई थी.
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