कवि प्रदीप की जीवनी | Kavi Pradeep ka Jivan Parichay

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कवि प्रदीप (Kavi Pradeep Biography) का जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएं, रचनाएँ एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। कवि प्रदीप का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।

नामकवि प्रदीप
वास्तविक नामरामचंद्र नारायणजी द्विवेदी
जन्म०६ फ़रवरी १९१५ (06 फ़रवरी, 1915)
जन्म स्थानउज्जैन, मध्यप्रदेश
कार्यक्षेत्रगीतकार, स्वतंत्रता सेनानी
पिता का नामनारायणजी द्विवेदी
पत्नी का नामसुभद्रा बेन
मृत्यु११ सितम्बर १९९८ (11 सितम्बर, 1998)
मृत्यु कारणकैंसर
मृत्यु स्थानमुम्बई, महाराष्ट्र

कवि प्रदीप का जीवन परिचय in short:

जीवन-परिचय- कवि प्रदीप का जन्म 6 फरवरी 1915 को मध्य प्रदेश के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनको बचपन से ही हिंदी कविता लिखने में रुचि थी। विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने हिंदी काव्य लेखन और पढ़ने में गहरी रुचि पाई।

कवि प्रदीप एक मशहूर कवि और गीतकार थे, जिन्होंने देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” का श्रेष्ठ रचना की थी। उन्होंने 1962 में भारत-चीन युद्ध में बलिदान देने वाले सैनिकों के लिए इस गीत को समर्पित किया था। इस गीत को लता मंगेशकर ने 26 जनवरी 1963 को रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नेहरू के सामने गाया था। कवि प्रदीप ने इस गीत की आय युद्ध विधवाओं के लिए दान करने का निर्णय लिया था।

कवि प्रदीप का मूल नाम ‘रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी’ था। उनका जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में बड़नगर नामक गाँव में हुआ था। कवि प्रदीप की पहली पहचान 1940 में आई फिल्म बंधन से हुई थी। लेकिन 1943 की सुपरहिट फिल्म किस्मत के गीत “दूर हटो ऐ दुनियावालो हिंदुस्तान हमारा है” ने उन्हें देशभक्ति के कवि के रूप में अमर कर दिया। इस गीत को सुनकर अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें पकड़ने का आदेश दिया था। उन्हें छुपना पड़ा था।

कवि प्रदीप ने अपने पेशे में पांच दशक तक काम किया। उन्होंने 71 फिल्मों के लिए 1700 से ज्यादा गीत लिखे। उन्हें 1997-98 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कवि प्रदीप के गीत और कविताएँ हिंदी साहित्य का अनमोल खजाना हैं। उनके गीत देशभक्ति, प्रेम, भक्ति, समाज, नैतिकता आदि विषयों पर हैं। उनकी रचनाएँ लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें स्मरण करने पर एक विशेष आनंद मिलता है।

उन्होंने 11 सितम्बर 1998 को 83 साल की आयु में कैंसर से जूझते हुए अपना दम तोड़ दिया। उनके जाने का समाचार अखबारों में आते ही लोग उनके घर ‘पंचामृत’ पर जुटने लगे, जो विले पार्ले में था। उनका शव उठाते समय लोगों ने कवि प्रदीप के अमर रहे का नारा लगाया।

कवि प्रदीप की प्रमुख रचनाएं:

कवि प्रदीप एक उर्जावान कवि और गीतकार थे जिन्होंने अपने जीवन के दौरान कई मशहूर और अद्भुत गीतों को लिखा। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं:

  1. “मेरे वतन के लोगों”: यह गीत उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है। इस गाने को उन्होंने 1962 में भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में लिखा था।
  2. “आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ”: यह एक बच्चों के लिए शिक्षाप्रद गीत है जो उनकी रचनाओं में एक प्रमुख स्थान रखता है।
  3. “पिंजरे के पंछी रे”: यह गीत अपने स्वतंत्रता सेनानी और देशभक्ति के भाव के लिए जाने जाते हैं।
  4. “कभी कभी खुद से बात करो”: यह एक प्रेरणादायक गीत है जो आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए लिखा गया है।
  5. “साबरमती के सन्त”: इस गाने में उन्होंने महात्मा गांधी के सन्देशों को सुनाया है।
  6. “धीरे धीरे आ रे बादल”: यह एक रोमांटिक गीत है जो प्रियतमा के इंतजार में रहने की भावना को व्यक्त करता है।
  7. “हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के”: यह गाने में उन्होंने वीरता और साहस को अभिव्यक्त किया है।
  8. “आज हिमालय की चोटी से”: यह गीत पर्वतीय स्थलों की सुंदरता को वर्णन करता है।
  9. “मेरे मन हँसते हुए चल”: इस गाने में खुशियों और आनंद के संदेश हैं।
  10. “उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम”: इस गीत में भारतीय संस्कृति और विविधता का गुणगान किया गया है।

ये कुछ प्रमुख गाने हैं जिन्हें कवि प्रदीप ने लिखा और लोगों के दिलों में छाया हुआ है। उनके गाने लोगों को गर्व महसूस कराते हैं और उनकी यादें हमेशा जिंदा रहती हैं।

गीत
कभी कभी खुद से बात करो
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ
ऐ मेरे वतन के लोगों
साबरमती के सन्त
पिंजरे के पंछी रे
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
कभी धूप कभी छाँव
आज हिमालय की चोटी से
गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़
मेरे जीवन के पथ पर
हम तो अलबेले मज़दूर
न जाने आज किधर
धीरे धीरे आ रे बादल
ऊपर गगन विशाल
मेरे मन हँसते हुए चल
पिंजरे के पंछी रे
देख तेरे संसार की हालत
तुमको तो करोड़ो साल हुए
किस बाग़ में मैं जन्मा खेला
हमने जग की अजब तस्वीर देखी
चल अकेला चल अकेला चल अकेला
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अमृत और ज़हर दोनों हैं सागर में एक साथ
होने लगा है मुझ पे जवानी का अब असर
चलो चलें मन सपनो के गाँव में
मैं एक नन्हा सा मैं एक छोटा सा बच्चा हूँ
चरागों का लगा मेला ये झांकी खूबसूरत है
अपनी माँ की किस्मत पर मेरे बेटे तू मत रो
खिलौना माटी का

सम्मान और पुरस्कार:

कवि प्रदीप को उनकी साहसिक रचनाएं और देशभक्ति भावना के लिए याद किया जाता हैं। उनके गाने भारतीय जनता में गर्व का अहसास कराते हैं और उनकी यादें नेतृत्व और समर्पण की मिसाल के रूप में सदैव जीवंत रहेंगी।

  • सन् 2011 में भारत सरकार ने उनके चित्र और गीत “ए मेरे वतन के लोगों” के साथ वाला डाक टिकट जारी किया था।
  • उन्हें 1998 में भारत के राष्ट्रपति श्री के. आर. नारायणन द्वारा प्रतिष्ठित ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया था।
  • 1995 में राष्ट्रपति द्वारा उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ का श्रेय दिया गया था।
  • साल 1961 में उन्हें ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
  • 1963 में उन्हें फ़िल्म जर्नलिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

कवि प्रदीप की काव्यगत विशेषताएँ:

कवि प्रदीप की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. देशभक्ति भावना: कवि प्रदीप के काव्य में देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम की ऊर्जा भरी भावना दिखती है। उनके गीतों में भारत माता की महिमा, उसके वीर सैनिकों की शौर्यगाथाएं, और राष्ट्रीय एकता के महत्व को सुन्दर रूप से व्यक्त किया गया है।
  2. साहसिक रचनाएं: कवि प्रदीप के काव्य में साहस, समर्थन, और सकारात्मकता का महत्वपूर्ण स्थान है। उनके गीतों में वीरता की भावना से भरी लड़ाई के प्रेरक पंक्तियाँ होती हैं, जो समाज को साहसी और सक्रिय बनाने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।
  3. भाषा का उपयोग: कवि प्रदीप का काव्य सरल और सुलभ भाषा में लिखा गया है, जिससे समान्य जनता भी उसकी भावनाओं को समझ सकती है। उनके गीतों में भाषा की सुंदरता, भावुकता और समृद्धि का प्रत्यासा होता है।
  4. संगीतमयी रचनाएं: कवि प्रदीप के गीतों में संगीतमयी रचनाएं होती हैं, जिनकी भावना और छंद बढ़िया रूप से मिलती है। उनके गानों की स्वर्णिम संगीत रचनाएं लोगों के दिलों में बस जाती हैं और उनकी यादें स्पष्टता से चित्रित हो जाती हैं।
  5. समाजसेवा के संदेश: कवि प्रदीप के काव्य में समाजसेवा, समाजिक न्याय, और जनहित के प्रति उनकी संवेदनशीलता दिखती है। उनके गानों में समाज के दरिद्र और कमजोर वर्ग के लिए प्रेरणा भरी संदेश होते हैं, जो लोगों को सहानुभूति और समर्थन की ओर प्रोत्साहित करते हैं।

इन सभी विशेषताओं से भरपूर है कवि प्रदीप का काव्य, जिसने समाज को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और देशभक्ति की ऊर्जा को संवेदनशील रूप से दर्शाया।

कवि प्रदीप की भाषा शैली:

कवि प्रदीप की भाषा शैली अत्यंत सरल, सुलभ, और सामान्य जनता को समझने में सहायक होती है। उनके काव्य में भाषा की गहराई और समृद्धि दिल को मोह लेती है। उनके गीतों के पंक्तियां और छंद सरलता से भरे होते हैं, जो सुनने वालों के मन में खास तरंग उत्पन्न करते हैं। उनकी काव्यगत विविधता, समृद्ध भावनाएं, और साहसिक अंशों से भरी भाषा की वजह से उनके गीत और कविताएं लोगों के दिलों में एक अलग पहचान बना रहे हैं। उनके शब्दों में छुपी गहराई और उनकी विचारधारा से उजागर होने वाली बातों की वजह से कवि प्रदीप की भाषा शैली अद्भुत और अनूठी है।

कवि प्रदीप का पूरा नाम क्या है?

कवि प्रदीप का पूरा नाम ‘रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी‘ था।

कवि प्रदीप का जन्म किस जिले में हुआ था?

कवि प्रदीप का जन्म मध्य प्रदेश प्रांत के उज्जैन में बड़नगर नामक स्थान में हुआ।


कवि प्रदीप की मृत्यु कब हुई?

कवि प्रदीप की मृत्यु 11 दिसंबर 1998 को मुंबई में हुआ

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