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भवानी प्रसाद मिश्र (Bhawani Prasad Mishra Biography) का जीवन परिचय, साहित्यिक विशेषताएं, रचनाएँ एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ एवं कृतियाँ। भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।
नाम | भवानी प्रसाद मिश्र |
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जन्मतिथि | 29 मार्च 1913 |
जन्मस्थान | मध्य प्रदेश के जिला होशंगाबाद के ग्राम टिगरिया में |
पिता का नाम | पंडित सीताराम मिश्र |
पुत्र का नाम | अनुपम मिश्र |
रचनाएं | गीत फरोश, चकित है दुख, अंधेरी कविताएं, गांधी पंचशती |
पुरस्कार | साहित्य अकादमी पुरस्कार, शिखर सम्मान |
निधन | 20 फरवरी 1985 |
व्यवसाय | कवि एवं लेखक |
जीवन-परिचय- सहज लेखन और सहज व्यक्तित्व के स्वामी श्री भवानी प्रसाद मिश्र राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े रहने वाले आस्थावादी थे। उन्होंने हिंदी कविता को सरलता और सरसता का गुण प्रदान किया था। उन का जन्म मध्यप्रदेश राज्य के होशंगाबाद के टिगरिया गाँव में सन् 1913 में हुआ था तथा देहांत सन् 1985 में हुआ था।
हिन्दी साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन का शिखर सम्मान, दिल्ली प्रशासन का गालिब पुरस्कार दिया गया था। भारत सरकार के द्वारा उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया था। उन्होंने गांधी-साहित्य के हिंदी खंडों का संपादन कर कविता और गांधी जी के बीच सेतु बांधने में योगदान दिया।
1942 से 1945 ई० तक भारत छोड़ो आंदोलन में इन्होंने अत्यधिक योगदान दिया। इन्हें अनेक बार अंग्रेजी सरकार का कोपभाजन बनना पड़ा तथा जेल यात्रा की यातना सहन करनी पड़ी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मिश्र जी ने समाज सेवा एवं समाज सुधार का पथ ग्रहण किया। अपने इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए विचार, महिलाश्रम जैसी सामाजिक पत्रिकाओं का काफी अर्से तक संपादन कार्य किया। 1958-72 ई० तक इन्होंने गांधी के समग्र साहित्य को हिंदी में अनूदित करने का कार्यभार संभाला। मिश्र जी का यह कार्य विशेष प्रशंसनीय है। 1972 ई० से मिश्र जी महात्मा गांधी प्रतिष्ठान के त्रैमासिक ‘गांधी मार्ग’ तथा सर्व सेवा संघ के ‘भूदान यज्ञ’ का संपादन कार्य प्रारंभ किया।
भवानी प्रसाद मिश्र की प्रमुख रचनाएं:
रचनाएँ- मिश्र जी के प्रकाशित संग्रह निम्नलिखित हैं- गीत-फरोश, चकित है दुःख, अंधेरी कविताएं, गांधी पंचशती, बुनी हुई रस्सी तथा खुशबू के शिला लेख ।
कविता संग्रह | गीत फरोश, चकित है दुख, गांधी पंचशती, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल सन्ध्या, व्यक्तिगत, परिवर्तन जिए, अनाम तुम आते हो, इदम् न मम, शरीर कविता: फसलें और फूल, मानसरोवर दिन, सम्प्रति, अँधेरी कविताएँ, तूस की आग, कालजयी, नीली रेखा तक और सन्नाटा |
बाल कविताएँ | तुकों के खेल |
निबन्ध संग्रह | कुछ नीति कुछ राजनीति |
भवानी प्रसाद मिश्र की काव्यगत विशेषताएँ:
काव्यगत विशेषताएँ- मिश्र जी आरंभ से ही समाज सुधार की भावना से प्रेरित रहे हैं। गांधी दर्शन के प्रभाव ने इस भावना को और भी दृढ़ बना दिया है। इनकी कथनी एवं करनी दोनों में सुंदर समन्वय है। मिश्र जी के काव्य में समाज सुधार की भावना के साथ-साथ सत्य, अहिंसा, प्रेम एवं करुणा को अभिव्यक्ति प्राप्त होती है। इन्होंने प्रकृति का सजीव चित्रण किया है तथा सामाजिक विसंगतियों पर व्यंग्य किया है। इन की कविताओं की भाषा प्रायः सरल तथा सुबोध है। व्यावहारिक पक्ष से संबद्ध होने के कारण उनकी भाषा में सहजता का गुण भी है। शैली मुक्तक है।
भवानी प्रसाद मिश्र की भाषा शैली:
भाषा शैली: भवानी प्रसाद मिश्र हिंदी साहित्य के कवियों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। भवानी प्रसाद मिश्र जी की भाषा शैली अद्वितीय है। उनकी रचनाओं में साधारण जीवन की भाषा को सरलता से जोड़कर नया रूप दिया गया है। उनकी भाषा सीधी, प्रभावपूर्ण और सादगी से भरी हुई है। अलंकारों के सुंदर प्रयोग द्वारा उन्होंने भाषा को सजाया है। उनकी कविताओं में कला की सादगी दिखती है और भाषा में सच्चाई और सीधापन की प्रतिष्ठा है। उनकी भाषा शैली आकर्षक है और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर उनकी रचनाएं सोच और कार्रवाई के लिए प्रेरित करती हैं। भवानी प्रसाद मिश्र जी की भाषा शैली उन्हें एक महान साहित्यिक स्थान प्रदान करती है।
भवानी प्रसाद मिश्र जी का जन्म 29 मार्च 1913 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गांव में हुआ था।
भवानी प्रसाद की प्रमुख रचनाएं हैं- गीत-फरोश, चकित है दुःख, अंधेरी कविताएं, गांधी पंचशती, बुनी हुई रस्सी तथा खुशबू के शिला लेख ।
भवानी प्रसाद मिश्र हिंदी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वे ‘दूसरा सप्तक’ के प्रथम कवि हैं।
भवानी प्रसाद मिश्र जी की मृत्यु 20 फरवरी 1985 को नरसिंहपुर मध्य प्रदेश में हुई।