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सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का जीवन परिचय | Surendranath Banerjee Biography, History, Birth, Education, Life, Death, Role in Independence in Hindi
जय हिंद दोस्तों, आज के इस लेख के माध्यम से सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी लेंगे. इस लेख में हम सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के व्यक्तिगत जीवन, उनकी शिक्षा, तथा स्वाधीनता संग्राम में उनके द्वारा की गयी उत्कृष्ट कामगिरी साझा करेंगे. तो आइये आजके अध्याय की शुरुआत करते है.
प्रारम्भिक जीवन | Surendranath Banerjee Early Life
नाम | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
उपनाम | राष्ट्रगुरू, इंडियन ग्लेडस्टोन, इंडियन एडमंड बर्क |
जन्मतिथि | 10 नवंबर 1848 |
जन्मस्थान | कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत |
पिता | डॉ. दुर्गा चरण बैनर्जी |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
Surendranath Banerjee Early Life
सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी का जन्म 10 नवंबर 1848 को कोलकाता में, एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम डॉ. दुर्गा चरण बैनर्जी था. सुरेन्द्रनाथ जी ने अपने पिता से उदारता तथा प्रगतिशील सोच की सिख प्राप्त की थी.
उनकी प्रारंभिक शिक्षा ‘हिन्दू कॉलेज’ में हुई. उसके बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक किया, जिसके बाद वे सन 1868 में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए इंग्लैंड चले गए. 1869 में उन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली पर उम्र से सम्बंधित विवाद को लेकर उनका चयन रद्द कर दिया गया था. लेकिन, न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद वे एक बार फिर परीक्षा में बैठे और फिर एक बार उनका चयन किया गया. इस चयन के बाद उन्हें सिलहट में सहायक मजिस्ट्रेट बनाया गया. उसके बाद ब्रिटिश प्रशासन ने उन पर नस्ली भेदभाव का आरोप लगाकर उन्हें सरकारी नौकरी से हटा दिया.
राजनैतिक जीवन | Surendranath Banerjee Political Life
ब्रिटिश प्रशासन के उनके साथ किये गए बुरे बर्ताव की जांच करने वे इंग्लैंड चले गए. 1875 में भारत लौटने के बाद वे मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन, फ्री चर्च इंस्टीट्यूशन और रिपन कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर बन गए. यह इंस्टीटूशन की स्थापना 1882 में उनके द्वारा की गई थी. 26 जुलाई 1876 को उन्होंने आनन्दमोहन बोस के साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना की. कहा जाता है कि, यह पहला भारतीय राजनीतिक संगठन था. 1879 में उन्होंने द बंगाली समाचार पत्र का आरम्भ किया.
1905 में उन्होंने बंगाल प्रांत के विभाजन का विरोध किया. इनके संगठन तथा भाषणों के कारण इस विरोध ने उग्र रूप ले लिया, परिणामतः अंग्रेज़ो को अंत में मजबूर होकर 1912 में विभाजन के प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा. बनर्जी के साथ गोपाल कृष्ण गोखले और सरोजनी नायडू ने सहयोग से यह कार्य में जित हासिल की.
1909 में उन्होंने “मॉर्ले-मिन्टो सुधार” का समर्थन किया, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रवादी राजनेताओं तथा लोगों की नाराजगी का सामना कना पड़ा था. परिणामतः वे विधान चंद्र रॉय स्वराज्य पार्टी के उम्मीदवार के विरूद्ध बंगाल विधान सभा का चुनाव हार गए. साम्राज्य को राजनीतिक समर्थन देने के लिए उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी गई.
मृत्यु | Surendranath Banerjee Death
6 अगस्त, 1925 को सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का निधन हुआ. 28 दिसंबर 1983 को भारत सरकार द्वारा सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया गया.