मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय | Maithili Sharan Gupt ka Jeevan Parichay

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मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय

मैथिलीशरण गुप्त भारत के आधुनिक हिन्दी कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं। यह जीवनी इस प्रतिष्ठित व्यक्ति के जीवन और उपलब्धियों पर प्रकाश डालती है।

प्रारंभिक जीवन:
3 अगस्त, 1886 को चिरगाँव, झाँसी में जन्मे मैथिली शरण गुप्ता की परवरिश ने उनकी साहित्यिक यात्रा को आकार दिया। बचपन में पारंपरिक स्कूली शिक्षा के प्रति अरुचि के बावजूद, उनके माता-पिता ने घर पर ही उनकी शिक्षा की व्यवस्था की। युवा मैथिली ने अपने गुरु महावीर प्रसाद के मार्गदर्शन में संस्कृत, अंग्रेजी और बंगाली का अध्ययन किया। उन्होंने अपनी शिक्षा मैकडॉनेल हाई स्कूल से पूरी की।

1895 में, उन्होंने काशीबाई के साथ वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया और उन्हें उर्मिल चरण गुप्ता नामक एक पुत्र का आशीर्वाद मिला। उनके रिश्तेदारों में सीतारामशरण गुप्ता का महत्वपूर्ण स्थान था। इसके अलावा, गुप्ता ने गुप्त दीवान शत्रुध्न सिंह के शिक्षक के रूप में कार्य किया। मैथिली शरण गुप्ता का 12 दिसंबर, 1964 को भारत में एक स्थायी विरासत छोड़कर निधन हो गया।

काम:
मैथिली शरण गुप्ता ने सरस्वती सहित विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएँ लिखकर अपनी साहित्यिक यात्रा शुरू की। 1910 में, उनका पहला प्रमुख काम, “रंग में भंग” इंडियन प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था। गुप्ता की राष्ट्रवादी कविताओं, विशेष रूप से “भारत भारती” ने भारतीय पाठकों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की।

उनकी काव्य रचनाएँ अक्सर रामायण और महाभारत जैसे कालजयी महाकाव्यों के साथ-साथ बौद्ध कहानियों और श्रद्धेय धार्मिक नेताओं के जीवन से प्रेरणा लेती थीं। भारत की स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने अपने निधन तक राज्य सभा के मानद सदस्य के रूप में कार्य किया और देश के शासन में योगदान दिया।

पुरस्कार और सम्मान:
मैथिली शरण गुप्ता को उनके उल्लेखनीय साहित्यिक योगदान के लिए 1854 में प्रतिष्ठित पाघभूषण प्राप्त हुआ, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, महात्मा गांधी ने उनकी असाधारण प्रतिभा और समर्पण को उजागर करते हुए, उन्हें राष्ट्रीय कवि की उपाधि से सम्मानित किया।

प्रकाशित पुस्तकें:
कई भागों में “मैथिली शरण गुप्त ग्रंथावली” के प्रकाशन के साथ, गुप्ता के साहित्यिक कार्यों को व्यापक रूप से मनाया गया है। इसके अतिरिक्त, उनकी पुस्तक “पंचवटी” 2015 में प्रकाशित हुई थी, जिसने अपनी काव्य प्रतिभा से पाठकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 1949 में, उन्होंने “यशोधरा” रिलीज़ की, जो उनके प्रदर्शनों की सूची में एक और उल्लेखनीय वृद्धि थी।

निष्कर्ष:
एक प्रख्यात कवि, राजनीतिज्ञ, नाटककार और अनुवादक के रूप में मैथिली शरण गुप्ता की जीवन यात्रा पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक राष्ट्रीय कवि के रूप में उनके गहन साहित्यिक योगदान और मान्यता ने उनकी स्थायी विरासत को मजबूत किया।

प्राचीन महाकाव्यों और धार्मिक कथाओं में निहित उनकी रचनाओं का कालातीत आकर्षण पाठकों को मोहित करता रहता है, जिससे भारतीय आधुनिक हिंदी कवियों के बीच उनका सम्मानित स्थान सुनिश्चित होता है।

मैथिलीशरण गुप्त कौन थे?

मैथिली शरण गुप्त भारतीय आधुनिक हिंदी कवियों में एक उल्लेखनीय कवि, राजनीतिज्ञ, नाटककार और अनुवादक थे।

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

मैथिली शरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त, 1886 को भारत के उत्तर पश्चिमी प्रांत में स्थित चिरगाँव, झाँसी में हुआ था।

मैथिलीशरण गुप्त के उल्लेखनीय कार्य क्या थे?

मैथिली शरण गुप्ता ने “भारत भारती” और “रंग में भंग” जैसी कविताएँ लिखीं, उनकी कई रचनाएँ रामायण, महाभारत और धार्मिक नेताओं के जीवन के विषयों के इर्द-गिर्द घूमती हैं।

मैथिलीशरण गुप्त को कौन-कौन से सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए?

मैथिली शरण गुप्ता को 1854 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पगभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी द्वारा राष्ट्रीय कवि की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।

मैथिलीशरण गुप्त की कुछ प्रकाशित पुस्तकें कौन सी हैं?

मैथिली शरण गुप्त की कुछ प्रकाशित पुस्तकों में “मैथिली शरण गुप्त ग्रंथावली,” “पंचवटी,” और “यशोधरा” शामिल हैं।

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