रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय । Ramdhari Singh Dinkar ka Jivan Parichay

4.7/5 - (40 votes)

रामधारी सिंह “दिनकर” का जीवन परिचय:

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी साहित्य के प्रख्यात लेखक, कवि और निबन्धकार थे। वे आधुनिक काल के उत्कृष्ट वीर रस के कवि के रूप में माने जाते हैं। ‘दिनकर’ आजादी से पहले एक क्रान्तिकारी कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए और आजादी के बाद ‘राष्ट्रकवि’ के नाम से सम्मानित हुए। वे छायावाद के बाद की पीढ़ी के कवि थे। उनकी कविताओं में एक तरफ शक्ति, विद्रोह, रोष और क्रान्ति का सन्देश है तो दूसरी तरफ मधुर श्रृंगारिक भावनाओं का वर्णन है। इन दोनों प्रवृत्तियों का श्रेष्ठ उदाहरण हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।

बिंदु (Points)जानकारी (Information)
नाम (Name)रामधारी सिंह
उपनामदिनकर
जन्म ( Date of Birth )24 सितंबर 1908
आयु ( age )65 वर्ष
जन्म स्थान (Birth Place)सिमरिया गाँव, बेगूसराय, बिहार
पिता का नाम ( Father’s Name )रवि सिंह
माता का नाम ( Mother’s Name )मनरूप देवी
पत्नी का नाम (Wife Name)ज्ञात नहीं
पेशा (Occupation )कवि, लेखक
मृत्यु (Death)24 अप्रैल 1974, मद्रास, चेन्नई
अवार्ड (Award)1959: साहित्य अकादमी पुरस्कार 1959: पद्म भूषण
1972: ज्ञानपीठ पुरस्कार

रामधारी सिंह “दिनकर” का जन्म:

दिनकर जी का जन्म 24 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था। वे एक साधारण किसान ‘रवि सिंह’ और उनकी पत्नी ‘मनरूप देवी’ के बेटे थे। जब दिनकर दो साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद दिनकर और उनके भाई-बहनों की देखभाल उनकी माँ ने की। दिनकर का बचपन और युवावस्था गाँव में गुजरी, जहाँ खेतों की हरियाली, बांस के झोपड़े, आम के बाग और कांस के मैदान थे। प्रकृति की इस सुंदरता का असर दिनकर के मन पर हुआ, लेकिन शायद इसलिए असली जिंदगी की कठिनाइयों का भी ज्यादा गहरा अनुभव हुआ।

रामधारी सिंह “दिनकर” की शिक्षा:

दिनकर जी ने एक संस्कृत पंडित के यहाँ से अपनी शुरुआती शिक्षा ली और फिर गाँव के ‘प्राथमिक विद्यालय’ से प्राथमिक शिक्षा पाई। उसके बाद वे बोरो नामक गाँव में ‘राष्ट्रीय मिडिल स्कूल’ में गए, जो सरकारी शिक्षा के विरुद्ध खोला गया था। वहाँ से दिनकर के दिमाग में देशभक्ति की भावना जागी। उच्च माध्यमिक शिक्षा दिनकर ने ‘मोकामाघाट हाई स्कूल’ से की। इस दौरान उनका विवाह भी हो गया था और वे एक बेटे के पिता भी बन गए थे। 1928 में मैट्रिक के बाद दिनकर ने पटना विश्वविद्यालय से 1932 में इतिहास में बी. ए. ऑनर्स का डिग्री पाया। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू की गहरी पढ़ाई की थी।

रामधारी सिंह “दिनकर” की उपलब्धियां:

दिनकर जी ने बी. ए. करने के बाद एक स्कूल में शिक्षक का काम शुरू किया। 1934 से 1947 तक वे बिहार सरकार के सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक रहे। उनकी कुछ कविताएँ रेणुका और हुंकार में प्रकाशित हुईं, जिनसे अंग्रेज़ प्रशासकों को पता चला कि वे उनके विरोधी हैं और उनके खिलाफ फाइल बनाने लगे। वे उन्हें बार-बार तंग करते रहे और 4 साल में 22 बार उनका तबादला कर दिया। 1947 में जब भारत आजाद हुआ, तो वे बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट बनकर मुजफ्फरपुर गए।

1952 में जब भारत की पहली संसद बनी, तो वे राज्यसभा के सदस्य बने और दिल्ली चले आए। दिनकर 12 साल तक सांसद रहे, फिर 1964 से 1965 तक उन्हें भागलपुर विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया। लेकिन उसके बाद भारत सरकार ने उन्हें 1965 से 1971 तक अपने हिंदी सलाहकार नियुक्त किया और वे दिल्ली वापस आ गए।

रामधारी सिंह “दिनकर” की अनूठी कृतियां:

वे ऐसे कवि थे, जिन्होंने समाज के अन्याय और असमानता को अपनी कविता की आग में जलाया। वे ऐतिहासिक चरित्रों और घटनाओं को अपने शब्दों की तलवार से चीरा और उनकी गौरवगाथा लिखी। उनकी रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा जैसी रचनाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी ज्यादातर कविताएँ वीर रस से भरी हुई हैं। वे भूषण के बाद वीर रस के सर्वोत्कृष्ट कवि माने जाते हैं।

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उनकी उर्वशी एक अलग ही रचना है। इसमें वे ने मानवीय प्रेम, वासना और सम्बन्धों के गहरे पहलू उजागर किए हैं। उर्वशी एक अप्सरा है, जो स्वर्ग को त्याग कर पृथ्वी पर आती है। कुरुक्षेत्र उनका एक अन्य महाकाव्य है, जो महाभारत के शान्ति-पर्व पर आधारित है। यह रचना दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की है। सामधेनी उनकी एक सामाजिक रचना है, जिसमें वे ने विभिन्न वर्गों और वर्ग-संघर्ष का चित्रण किया है। संस्कृति के चार अध्याय में वे ने भारत की एकता का बोध कराया है। वे कहते हैं कि भारत एक देश है, जिसमें भाषा, संस्कृति और क्षेत्र की भिन्नता के बावजूद एक ही सोच और एक ही लक्ष्य है।

काव्य कृतियां

TitleYear
बारदोली-विजय संदेश (Baradoli-Vijay Sandesh)1928
प्रणभंग (Pranbhanga)1929
रेणुका (Renuka)1935
हुंकार (Hunkar)1938
रसवन्ती (Rasvanti)1939
द्वंद्वगीत (Dwandvageet)1940
कुरूक्षेत्र (Kurukshetra)1946
धूप-छाँह (Dhoop-Chhaanh)1947
सामधेनी (Samdhini)1947
बापू (Baapu)1947
इतिहास के आँसू (Itihaas ke Aansu)1951
धूप और धुआँ (Dhoop aur Dhuan)1951
मिर्च का मजा (Mirch ka Maza)1951
रश्मिरथी (Rashmirathi)1952
दिल्ली (Delhi)1954
नीम के पत्ते (Neem ke Patte)1954
नील कुसुम (Neel Kusum)1955
सूरज का ब्याह (Suraj ka Byaah)1955
चक्रवाल (Chakravak)1956
कवि-श्री (Kavi-Shree)1957
सीपी और शंख (CP and Shankh)1957
नये सुभाषित (Naye Subhashit)1957
लोकप्रिय कवि दिनकर (Lokpriya Kavi Dinkar)1960
उर्वशी (Urvashi)1961
परशुराम की प्रतीक्षा (Parshuram ki Prateeksha)1963
आत्मा की आँखें (Atma ki Aankhen)1964
कोयला और कवित्व (Koyla aur Kavita)1964
मृत्ति-तिलक (Mrityu-Tilak)1964
दिनकर की सूक्तियाँ (Dinkar ki Suktian)1964
हारे को हरिनाम (Haare ko Harinaam)1970
संचियता (Sanchayita)1973
दिनकर के गीत (Dinkar ke Geet)1973
रश्मिलोक (Rashmiloc)1974
उर्वशी तथा अन्य शृंगारिक कविताएँ (Urvashi tatha Anya Shringarik Kavitayein)1974

गद्य कृतियां

TitleYear
मिट्टी की ओर (Mitti ki Or)1946
चित्तौड़ का साका (Chittor ka Saka)1948
अर्धनारीश्वर (Ardhnareshwar)1952
रेती के फूल (Reti ke Phool)1954
हमारी सांस्कृतिक एकता (Hamari Sanskritik Ekta)1955
भारत की सांस्कृतिक कहानी (Bharat ki Sanskritik Kahani)1955
संस्कृति के चार अध्याय (Sanskriti ke Char Adhyay)1956
उजली आग (Ujli Aag)1956
देश-विदेश (Desh-Videsh)1957
राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता (Rashtra-Bhasha aur Rastriya Ekta)1955
काव्य की भूमिका (Kavya ki Bhoomika)1958
पन्त-प्रसाद और मैथिलीशरण (Pant-Prasad aur Maithilisharan)1958
वेणुवन (Venuvan)1958
धर्म, नैतिकता और विज्ञान (Dharma, Naitikta aur Vigyan)1969
वट-पीपल (Vat-Peepal)1961
लोकदेव नेहरू (Lokdev Nehru)1965
शुद्ध कविता की खोज (Shuddh Kavita ki Khoj)1966
साहित्य-मुखी (Sahitya-Mukhi)1968
राष्ट्रभाषा आंदोलन और गांधीजी (Rashtrabhasha Andolan aur Gandhiji)1968
हे राम! (Hey Ram!)1968
संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ (Sansmaran aur Shradhanjaliyan)1970
भारतीय एकता (Bharatiya Ekta)1971
मेरी यात्राएँ (Meri Yatraen)1971
दिनकर की डायरी (Dinkar ki Diary)1973
चेतना की शिला (Chetna ki Shila)1973
विवाह की मुसीबतें (Vivah ki Musibatein)1973
आधुनिक बोध (Aadhunik Bodh)1973

रामधारी सिंह “दिनकर” को सम्मान और पुरस्कार:

दिनकरजी को उनकी अनेक रचनाओं के लिए विभिन्न संस्थाओं और सरकारों से सम्मान मिले। उन्हें 1959 में साहित्य अकादमी और पद्म विभूषण, 1968 में साहित्य-चूड़ामणि और 1972 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें भागलपुर विश्वविद्यालय और गुरू महाविद्यालय से मानद उपाधियाँ भी मिलीं। वे 1952 से 1964 तक राज्यसभा के सदस्य रहे।

उनकी 13वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति जैल सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 1999 में उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया। उनकी जन्म शताब्दी पर उनकी पुस्तक और प्रतिमा का उद्घाटन हुआ। कालीकट विश्वविद्यालय में उनके बारे में सेमिनार भी हुआ।

About Author

https://jivanisangrah.com/

Jivani Sangrah

Explore JivaniSangrah.com for a rich collection of well-researched essays and biographies. Whether you're a student seeking inspiration or someone who loves stories about notable individuals, our site offers something for everyone. Dive into our content to enhance your knowledge of history, literature, science, and more.

Leave a Comment