राम सिंह कूका का जीवन परिचय | Ram Singh Kuka Biography in Hindi

Rate this post

राम सिंह कूका का जीवन परिचय | Ram Singh Kuka Biography, Birth, Education, Earlier Life, Death, Role in Independence in Hindi

नमस्कार, आपका आज के इस लेख में स्वागत है. इस लेख में हमने राम सिंह कूका का जीवन परिचय विस्तार से बताया है. राम सिंह कूका एक स्वाधीनता सेनानी तथा समाज सुधारक के रूप में जाने जाते है. इस लेख के माध्यम से आप राम सिंह कूका के व्यक्तिगत जीवन, उनकी शिक्षा, तथा उनके योगदान के बारे में जानेंगे. आशा करते है आपको यह लेख पसंद आएगा.

प्रारम्भिक जीवन | Ram Singh Kuka Early Life

नाम राम सिंह कूका
उपनाम सतगुरु
जन्म3 फरवरी 1816
जन्म स्थान श्री भैनी साहिब, पंजाब
धर्म हिन्दू
राष्ट्रीयता भारतीय

Ram Singh Kuka Early Life

राम सिंह कूका का जन्म 1816 ई॰ में वसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था. राम सिंह जी खेती बाड़ी कर अपना गुजारा करते थे. वे बड़े ही आध्यात्म प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. वे अपने घर में ही प्रवचनों का आयोजन करते थे और लोग वे सुनने जाया करते थे. वे अपने प्रवचनों से समाज प्रबोधन कर रहे थे. उनके प्रवचनों के विषयों में गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उद्धार, अंतर्जातीय विवाह, सामूहिक विवाह आदि विषय शामिल थे. धीरे धीरे इनके शिष्यों का एक अलग ही पंथ बन गया, जो कूका पंथ कहलाया.

समाज सुधारक | Ram Singh Kuka Social Reformer

राम सिंह कूका एक समाज सुधारक थे. उन्होंने अपने प्रवचनों तथा संगठनों के माध्यम से समाज में सुधार लाने का कार्य किया. उस समय भारतीय समाज में महिलाओं की स्तिथि दयनीय थी. उन्होंने समाज में पुरुषों तथा स्त्रियों की एकता का प्रसार प्रचार किया. महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ उन्होंने आवाज़ उठाई. उस समय लड़कियों के जन्म लेते ही उन्हें मार देना, बेच देना व विद्या से वंचित रखने जैसी सामाजिक कुरीतियाँ प्रचलित थी. राम सिंह जी के प्रयासों का फल कुछ सालों में दिखाई दिया, जब पहली बार 3 जून 1863 को गाँव खोटे जिला फिरोजपुर में 6 अंतर्जातीय विवाह केलिए मान्यता दी गयी.

क्रांतिकारी योद्धा | Ram Singh Kuka Freedom Fighter

राम सिंह कूका ने पूर्ण रूप से ब्रिटिश सत्ता का विरोध किया और उनके खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की. उन्होंने विदेशी वस्तुओं तथा कपड़ो का बहिष्कार किया तथा लोगों को भी स्वदेशी कपडे एवं वस्तु इस्तेमाल करने केलिए प्रेरित किया. ब्रिटिशों द्वारा राम सिंह कुका को बंदी बनाकर रंगून भेज दिया गया और उसके बाद उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाकर अंडमान जेल भेज दिया गया था.

निधन | Ram Singh Kuka Death

29 नवंबर 1885 में राम सिंह कुका का निधन ढाका, बांग्लादेश में हो गया था. उनकी मृत्यु हो गयी यह बात उनके अनुयायी मान नहीं रहे थे. अनुयायी कहते रहे कि, “इंसानो का दिशा निर्देशन करने के लिए बाबा वापस लौट कर वापस आएंगे”.

About Author

https://jivanisangrah.com/

Jivani Sangrah

Explore JivaniSangrah.com for a rich collection of well-researched essays and biographies. Whether you're a student seeking inspiration or someone who loves stories about notable individuals, our site offers something for everyone. Dive into our content to enhance your knowledge of history, literature, science, and more.

Leave a Comment