मायावती का जीवन परिचय | Mayawati Biography and news in Hindi

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मायावती का जीवन परिचय (Mayawati Biography, news, education, net worth in Hindi)

मायावती जी उत्तरप्रदेश राज्य का एक जाना माना चेहरा हैं. जोकि वहां कि पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं. और इसलिए ये भारतीय राजनीति में एक अहम भूमिका रखती हैं. इस साल के आम चुनाव में इन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ हाथ मिला लिया है. जिससे लोगों के बीच में इनकी जोड़ी बुआ – भतीजे की जोड़ी के नाम से प्रसिद्ध हो रही है. मायावती ने अपने जीवन में उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में ऐसे कार्य किये, जिसके कारण उनके फॉलोवर उन्हें आयरन लेडी के नाम से बुलाते हैं. इनके जीवन में आये अब तक उतार – चढ़ाव एवं राजनीतिक करियर के बारे में हम यहाँ बात करने जा रहे हैं तो आइये जानते है.

कुमारी मायावती का जन्म एवं परिचय (Birth and Introduction of Kumari Mayawati)

पूरा नाम (Full Name) मायावती प्रभु दास
अन्य नाम (Nickname) बहन जी, कुमारी मायावती, आयरन लेडी मायावती
पेशा (Profession) भारतीय राजनीतिज्ञ
राजनीतिक पार्टी (Political Party) बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी)
जन्म (Birthdate) 15 जनवरी, 1956
जन्म स्थान (Birth Place) श्रीमती सुचेता कृपलानी हॉस्पिटल, नई दिल्ली, भारत
गृहनगर (Hometown) बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तरप्रदेश, भारत
धर्म (Religion) हिन्दू
जाति (Caste) अनुसूचित जाति (एससी)
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) अविवाहित
पसंदीदा राजनेता (Favourite Politician) कांशी राम
पिता का नाम (Father’s Name) प्रभु दास
माता का नाम (Mother’s Name) राम रती
भाई का नाम (Brother’s Name) आनंद कुमार

मायावती का जन्म एक हिन्दू दलित परिवार में दिल्ली में हुआ था, लेकिन इनके पिता प्रभु दास उत्तरप्रदेश के गौतम बुद्ध नगर बादलपुर में एक पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी थे. जिसके कारण मायावती का परिवार उत्तरप्रदेश में रहता था. इनकी माता एक गृहणी महिला थी एवं मायावती के भाई आनंद कुमार भी एक राजनेता हैं. मायावती ने विवाह नहीं किया और वे अपने अब तक के जीवन में बिलकुल अकेली रही हैं.

कुमारी मायावती की शिक्षा (Mayawati Education)

मायावती ने अपना ग्रेजुएशन यानि बी.ए. की पढ़ाई सन 1975 में दिल्ली के कालिंदी वीमेन कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरी की. फिर सन 1976 में उन्होंने बी.एड उत्तरप्रदेश के गाज़ियाबाद के वी.एम.एल.जी. कॉलेज से किया. इसके बाद इन्होंने एल.एल.बी. की पढ़ाई के लिए फिर से दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया और इस तरह से मायावती ने अपनी पढ़ाई पूरी की.

मायावती का करियर (Mayawati Career)

मायावती ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली की इन्द्रपुरी जेजे कॉलोनी में कुछ छात्रों को पढ़ाते हुए एक टीचर के रूप में कार्य करना शुरू किया. उस दौरान वे आईएएस की परीक्षा की तैयारी भी कर रही थीं. सन 1977 में एक बार जाने – माने दलित राजनेता कांशीराम मायावती से मिले, और वे उनके भाषण एवं विचारों से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. मायावती भी कांशीराम के विचारों से प्रभावित थी और उन्होंने राजनीति में शामिल होने का फैसला ले लिया.

मायावती के राजनीतिक करियर की शुरुआत (Starting Political Career of Mayawati)

सन 1984 में कांशीराम ने बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थापना की, और मायावती को इस पार्टी के एक सदस्य के रूप में शामिल किया. यहीं से मायावती की भारतीय राजनीति में औपचारिक रूप से शुरुआत हो गई. सन 1989 में मायावती पहली बार संसद की सदस्य के रूप के चयनित हुई, और लोकसभा में बिजनोर निर्वाचन क्षेत्र के लिए प्रतिनिधि बन गई. सन 1994 में मायावती पहली बार राज्य सभा या संसद के उच्च सदन की सदस्य बनीं.

मायावती उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में (Kumari Mayawati As a Chief Minister of UP)

राज्यसभा की सदस्य चुनी जाने के बाद जून सन 1995 में मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और उत्तरप्रदेश राज्य में मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. इस पदभार को संभालते हुए मायावती पहली ऐसी दलित महिला बन गई, जोकि किसी राज्य की मुख्यमंत्री बनी और इस तरह से उन्होंने इतिहास रच दिया. हालाँकि वे इस पद पर बहुत कम समय के लिए ही विराजमान रहीं. इसके बाद सन 1996 से 1998 तक मायावती ने उत्तरप्रदेश राज्य विधानसभा में विधायक के रूप में कार्य किया. सन 1997 में मायावती को दूसरी बार उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. किन्तु इस बार भी वे कुछ महीनों के लिए ही इस पद पर कार्यरत रहीं. सन 2002 में फिर से विधानसभा चुनाव में मायावती ने अपनी बहुजन समाजवादी पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन किया और वे तीसरी बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी. फिर सन 2003 में बीजेपी ने बीएसपी के साथ अपने समर्थन को वापस ले लिया, जिसके चलते फिर एक बार मायावती को अपना मुख्यमंत्री पद त्यागना पड़ा.सन 2003 में बहुजन समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं अध्यक्ष कांशीराम का देहांत हो गया, जिसके बाद मायावती इस पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई. इसके बाद सन 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती ने जीत हासिल कर चौथी बार मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथ ग्रहण की. और इसी बार उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद के पहले फुल टर्म कार्यकाल को पूरा किया. उस दौरान वे संसद में राज्यसभा सदस्य के रूप में भी सेवा कर रही थीं.

मायावती से जुड़े विवादों (Mayawati Controversies)

  • ताज कॉरिडोर केस :- सन 2002 में, केन्द्रीय जाँच ब्यूरो ने ताज हेरिटेज कॉरिडोर से सम्बंधित प्रोजेक्ट में वित्तीय अनियमितताओं के शक के अधार पर कुछ अन्य लोगों के साथ मायावती के घर पर भी छापा मारा था. फिर जून सन 2007 में, तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने घोषणा की, कि मायावती के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था. जिसके चलते सुप्रीमकोर्ट ने भी इस मामले में सीबीआई की याचिका ख़ारिज कर दी. और मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश देने के लिए भी असहमति जताई.
  • डिसप्रोपॉर्शनेट संपत्ति का केस :- सीबीआई ने मायावती के खिलाफ आय के औपचारिक स्त्रोतों के साथ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में मामला दर्ज किया. इस पर मायावती का कहना था, कि यह उनकी आय का हिस्सा नहीं है, बल्कि उनके समर्थकों का प्यार है, जो उन्हें गिफ्ट्स देते रहते है. फिर सन 2011 को केंद्र सरकार ने मायावती के खिलाफ दायर अपील को ख़ारिज कर दिया. इसके बाद सन 2012 में इस मामले को रद्द कर दिया गया. किन्तु इसके एक साल बाद तक सीबीआई इसकी जाँच करती रहीं, थोड़े सी बाद यह केस बंद हुआ.
  • आलोचनाएँ :- मायावती जी की अब तक कई मामलों में आलोचनाएँ की जा चुकी हैं. जैसे एक बार मायावती ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान बौद्ध, हिन्दू धर्म एवं दलितों की कई प्रतिमाएं स्थापित कराई, जिसमें वे खुद भी शामिल थी. कर – दाताओं का पैसा बर्बाद करने के लिए इनकी काफी आलोचना हुई. इसके अलावा वर्ल्ड बैंक फण्ड की अव्यवस्था के लिए भी वे आलोचनाओं का शिकार हुई. एक बार उन्हें विकीलीक्स के आरोप का भी सामना करना पड़ा था.
  • मूर्ती पर पैसे खर्च :- हालही में यानि मार्च 2019 में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने मायावती से हाथी की मूर्ती और साथ ही खुद की मूर्ती पर खर्च होने वाले पैसे का स्पष्टीकरण भी मांगा था.
  • 2019 आम चुनाव में :- अप्रैल 2019 में भारत के चुनाव आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती पर 48 घंटे का प्रतिबन्ध लगा दिया था. दरअसल आयोग को यह पता चला था, कि मायावती चुनाव के दौरान धर्म के आधार पर वोट की अपील कर रही थीं.

मायावती जी अपने अब तक राजनीतिक करियर में काफी सारे विवादों में घिरी हुई पाई गई हैं. आगे यही उम्मीद की जा सकती हैं कि वे इस 2019 के आम चुनाव के बाद किसी भी विवादों में दिखाई नहीं देंगी.

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