मन्नू भंडारी का जीवन परिचय । Mannu Bhandari Biography in Hindi

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जन्म और प्रारंभिक शिक्षा, व्यावसायिक करियर (Mannu Bhandari Professional Career), साहित्यिक करियर (Mannu Bhandari Literary Career), मन्नू भंडारी के मुख्य रचनाएँ (Compositions of Mannu Bhandari), पुरस्कार

मन्नू भंडारी एक भारतीय लेखिका है जो विशेषतः 1950 से 1960 के बीच अपने कार्यो के लिए जानी जाती थी। सबसे ज्यादा वह अपने दो उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थी। पहला आपका बंटी और दूसरा महाभोज। नयी कहानी अभियान और हिंदी साहित्यिक अभियान के समय में लेखक निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीषम साहनी, कमलेश्वर इत्यादि ने उन्हें अभियान की सबसे प्रसिद्ध लेखिका बताया था।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा:

मन्नू भंडारी जन्म: 3 अप्रॅल, 1931 हिंदी की आधुनिक कहानीकार और उपन्यासकार हैं। मध्य प्रदेश के भानपुरा नगर में 1931 में जन्मी मन्नू भंडारी को श्रेष्ठ लेखिका होने का गौरव हासिल है। मन्नू भंडारी ने कहानी और उपन्यास दोनों विधाओं में कलम चलाई है। राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास ‘एक इंच मुस्कान’ पढ़े-लिखे और आधुनिकता पसंद लोगों की दुखभरी प्रेमगाथा है। विवाह टूटने की त्रासदी में घुट रहे एक बच्चे को केंद्रीय विषय बनाकर लिखे गए उनके उपन्यास ‘आपका बंटी’ को हिंदी के सफलतम उपन्यासों की कतार में रखा जाता है। आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उकेरने वाले उनके उपन्यास ‘महाभोज’ पर आधारित नाटक खूब लोकप्रिय हुआ था। इनकी ‘यही सच है’ कृति पर आधारित ‘रजनीगंधा फ़िल्म’ ने बॉक्स ऑफिस पर खूब धूम मचाई थी।

मन्नू भंडारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर से पूरी की, कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुए और फिर हिंदी भाषा और साहित्य में एम.ए. की डिग्री हासिल करने के लिए वे हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी गयी। भंडारी हिन्दू लेखक राजेन्द्र यादव की पत्नी थी।

व्यावसायिक करियर (Mannu Bhandari Professional Career)

उन्होंने हिंदी प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुवात की थी। 1952-1961 तक उन्होंने कोलकाता बालीगंज शिक्षण सदन में, 1961-1965 तक कोलकाता रानी बिरला कॉलेज में, 1964-1991 तक मिरांडा हाउस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थी और फिर 1992-1994 तक वे विक्रम यूनिवर्सिटी की उज्जैन प्रेमचंद सृजनपीठ में डायरेक्टर थी।

साहित्यिक करियर (Mannu Bhandari Literary Career)

आज़ादी के बाद भारत के मुख्य लेखिकाओ में से एक थी। जो 1950 से 1960 के बीच अपने अपने कार्यो के लिए जानी जाती थी। सबसे ज्यादा वह अपने दो उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थी। पहला आपका बंटी और दूसरा महाभोज। नयी कहानी अभियान और हिंदी साहित्यिक अभियान के समय में लेखक निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीषम साहनी, कमलेश्वर इत्यादि ने उन्हें अभियान की सबसे प्रसिद्ध लेखिका बताया था।

1950 में भारत को आज़ादी मिले कुछ ही साल हुए थे, और उस समय भारत सामाजिक बदलाव जैसी समस्याओ से जूझ रहा था। इसीलिए इसी समय लोग नयी कहानी अभियान के चलते अपनी-अपनी राय देने लगे थे, जिनमे भंडारी भी शामिल थी। उनके लेख हमेशा लैंगिक असमानता और वर्गीय असमानता और आर्थिक असमानता पर आधारित होते थे।

नाटक “बिना दीवारों का घर” (1966) विवाह विच्छेद की त्रासदी में पिस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका उपन्यास “आपका बंटी” (1971) हिन्दी के सफलतम उपन्यासों में गिना जाता है। लेखक और पति राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास “एक इंच मुस्कान” (1962) पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है जिसका एक एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा था।

मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास “महाभोज” (1979) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था।

इसी प्रकार “यही सच है” पर आधारित “रजनीगंधा” नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था इसके अतिरिक्त उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, व्यास सम्मान और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।

मन्नू भंडारी के मुख्य रचनाएँ (Compositions of Mannu Bhandari)

कहानी-संग्रह

  • एक प्लेट सैलाब
  • मैं हार गई
  • तीन निगाहों की एक तस्वीर
  • यही सच है
  • त्रिशंकु
  • श्रेष्ठ कहानियाँ
  • आँखों देखा झूठ
  • नायक खलनायक विदूषक

उपन्यास

  • आपका बंटी
  • महाभोज
  • स्वामी
  • एक इंच मुस्कान
  • कलवा

फ़िल्म पटकथाएँ

  • रजनीगंधा
  • निर्मला
  • स्वामी
  • दर्पण

नाटक

  • बिना दीवारों का घर (1966)
  • महाभोज का नाट्य रूपान्तरण (1983)

आत्मकथा

  • एक कहानी यह भी (2007)
  • प्रौढ़ शिक्षा के लिए: सवा सेर गेहूं (1993)

पुरस्कार

  • महाभोज 1980-1981 के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान)
  • भारतीय भाषा परिषद (भारतीय भाषा परिषद), कोलकाता, 1 9 82
  • काला-कुंज सन्मान (पुरस्कार), नई दिल्ली, 1 9 82
  • भारतीय संस्कृत संसद कथा समरोह (भारतीय संस्कृत कथा कथा), कोलकाता, 1 9 83
  • बिहार राज्य भाषा परिषद (बिहार राज्य भाषा परिषद), 1991
  • राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, 2001- 02
  • महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी (महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी), 2004
  • हिंदी अकादमी, दिलीली शालका सन्मैन, 2006- 07
  • मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन (मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन), भवभूति अलंकरण, 2006- 07
  • के.के. बिड़ला फाउंडेशन ने उन्हें अपने काम के लिए 18 वें व्यास सम्मान के साथ प्रस्तुत किया, एह कहानी यहे भी, एक आत्मकथात्मक उपन्यास

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