महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap Biography | Age, Height, Weight, Family (Family, Father, Son), Sword, Death In Hindi
Table of contents
- महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap Biography | Age, Height, Weight, Family (Family, Father, Son), Sword, Death In Hindi
- महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap Biography In Hindi
- महाराणा प्रताप का बचपन | Maharana Pratap Childhood
- महाराणा प्रताप का जीवन सफ़र | Maharana Pratap Life Story (Biography)
- महाराणा प्रताप उपलब्धियाँ | Maharana Pratap Achievements
- महाराणा प्रताप की मृत्यु | Maharana Pratap Death
- महाराणा प्रताप की पत्नियाँ और बच्चों की जानकारी | Maharana Pratap Wife and Children details
आज हम बात करने वाले है उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा महाराणा प्रताप की. इन्हे वीरता और दृढ़ता की एक मिसाल माना जाता है. उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता को ठुकरा दिया. मुगलों के शासन से आज़ादी पाने के लिए उन्होंने जीवन के अंत तक संघर्ष की लड़ाई की. महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कईं बार युद्ध में भी हराया. चलिए जानते है महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी कुछ बातें –
महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap Biography In Hindi

बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | प्रताप सिंह |
प्रसिद्ध नाम | महाराणा प्रताप |
जन्म (Date of Birth) | 9 मई 1540 |
आयु | 56 वर्ष |
लम्बाई लगभग(Height) | 7 फीट 5 इंच |
वजन (Weight) | 80 किग्रा |
जन्म स्थान (Birth Place) | कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजस्थान |
पिता का नाम (Father Name) | उदय सिंह |
माता का नाम (Mother Name) | जैवंता बाई |
महारानी अजबदे के अलावा 9 रानियाँ | |
बच्चे (Children) | कुल 17 बच्चे, जिनमे अमर सिंह, भगवान दास शामिल है. |
मृत्यु (Death) | 19 जनवरी 1597 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | चावंड, राजस्थान |
भाई-बहन (Siblings) | 3 भाई (विक्रम सिंह, शक्ति सिंह, जगमाल सिंह), 2 बहने सौतेली (चाँद कँवर, मन कँवर) |
महाराणा प्रताप का बचपन | Maharana Pratap Childhood
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजस्थान में हुआ. इनके पिताजी का नाम महाराणा उदय सिंह तथा माता का नाम रानी जयवंता बाई था. वे बचपन से ही कर्तृत्ववान और प्रतिभाशाली थे. महाराणा प्रताप का बचपन भील समुदाय के साथ बिता. भील अपने पुत्र को कीका कहकर पुकारते है इसलिए भील महाराणा को कीका नाम से पुकारते थे. महाराणा प्रताप जी भीलों के साथ ही युद्ध कला सीखते थे. लेखक विजय नाहर की पुस्तक हिन्दुवा सूर्य के अनुसार, जब महाराणा प्रताप का जन्म हुआ उस समय उनके पिताजी उदय सिंह युद्ध और असुरक्षा से घिरे हुए थे. हिन्दुवा सूर्य के अनुसार उस समय कुंभलगढ़ सुरक्षित नहीं था. उस समय जोधपुर का राजा मालदेव था और वह उत्तर भारत में सबसे शक्ति सम्पन्न था.
महाराणा प्रताप का जीवन सफ़र | Maharana Pratap Life Story (Biography)
राणा उदय सिंह की दूसरी रानी धीरबाई जो रानी भटियाणी के नाम से जानी जाती है वह अपने पुत्र कुंवर जगमाल को मेवाड़ का उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी. महाराणा प्रताप जब मेवाड़ के उत्तराधिकारी बन गए उस समय कुंवर जगमाल ने इनके विरोध में मुग़लों से मित्रता कर ली. महाराणा प्रताप का प्रथम राज्याभिषेक में 28 फरवरी, 1572 में गोगुंदा में हुआ था, लेकिन विधि विधान स्वरूप राणा प्रताप का द्वितीय राज्याभिषेक 1572 ई. में ही कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ.
कई पड़ोसी राज्यों ने अकबर के साथ मित्रता कर ली थी. महाराणा प्रताप का राज्य मेवाड़ उस समय भी स्वतंत्र था. मुग़ल सम्राट मेवाड़ राज्य अपने अधीन करना चाहता था. लेकिन राणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया जिसके परिणामस्वरूप हल्दीघाटी का ऐतिहासिक युद्ध हुआ. प्रताप की सेना के मुकाबले अकबर की सेना के पास अपार बल था, फिर भी महाराणा प्रताप ने मुकाबला करने का निर्णय नहीं बदला. उन्हें किसी भी हालत में स्वतंत्रता चाहिए थी.
हल्दी घाटी का यह युद्ध 18 जून 1576 ईस्वी में मेवाड़ तथा मुगलों के बीच हुआ था. इस युद्ध में मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया था. प्रताप की मदद के लिए आस-पास की पहाड़ियों से भील आदिवासी भी आये थे. लड़ाई का स्थल राजस्थान के गोगुंदा के पास हल्दीघाटी में एक संकरा पहाड़ी दर्रा था. महाराणा प्रताप की और से लगभग 3,000 घुड़सवार और 400 भील धनुर्धारी मैदान में उतरे. मुगलों का नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह ने किया था. लेकिन दुर्भाग्य से युद्ध के अंत में मुगल सेना का विजय हुआ. मुगल सेना के प्रकोप से बचने के लिए झलासिंह ने महाराणा प्रताप की युद्ध से भाग निकलने में मदद की थी.
महाराणा प्रताप उपलब्धियाँ | Maharana Pratap Achievements
पू. 1579 से 1585 के कार्यकाल में महाराणा प्रताप एक के बाद एक गढ़ जीतते जा रहे थे. इसके कारण मुग़लो का दबाव मेवाड़ में काम होता जा रहा था. इस समय का लाभ उठाने के लिए महाराणा प्रताप ने अपने प्रत्यत्नों को और तेज़ कर दिया. बारह वर्ष के संघर्ष के बाद भी अकबर उसमें कोई परिवर्तन न कर सका. अकबर साम्राज्य का अंत 1585 ई. में हुआ. ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप कुल 360 किलो वजन ढोते थे, जिसमें 80 किलो का भाला, 208 किलो वजन की दो तलवारें और उनका कवच लगभग 72 किलो भारी था.
महाराणा प्रताप की मृत्यु | Maharana Pratap Death
अकबर साम्राज्य के अंत के ग्यारह वर्ष के बाद ही 19 जनवरी 1597 में अपनी नई राजधानी चावंड में महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई. महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर को बहुत ही दुख हुआ क्योंकि ह्रदय से वो महाराणा प्रताप के गुणों का प्रशंसक था. महाराणा प्रताप का नाम भारत के इतिहास में सदा अमर रहेगा.
महाराणा प्रताप की पत्नियाँ और बच्चों की जानकारी | Maharana Pratap Wife and Children details
महाराणा प्रताप के परिवार को लेकर आज भी बहुत से मतभेद है. इतिहासकारों और कुछ उस समय के कलाकारों के वशंजों द्वारा अलग-अलग जानकारी बताई गई हैं. निम्नलिखित जानकारी महाराणा प्रताप पर पहली बार रिसर्च करने वाले डॉक्टर चन्द्रशेखर द्वारा अपने प्रकाशित लेखो में लिखी गई हैं. जिसमे उनके परिवार की जानकारी दी गई हैं.
पत्नियां-
रानी अजबदेह पंवार, रानी सोलंकीनी पुबाई, फूल कंवर राठौड़ प्रथम, चंपा कंवर झाला, रानी जसोबाई चौहान, रानी फूल बाई राठौड़ (द्वितीय), रानी शहमाती बाई हाड़ा, रानी खीचर अशबाई, रानी आलमदेबाई चौहान, रानी अमरबाई राठौड़, लखाबाई राठौड़, रतनावती परमार, रत्नावत्ति पूरबियां, ईडानी रानी, भगवत कंवर राठौड़, प्यार कंवर सोलंकी.
पुत्र-
अमरसिंह, भगवानदास, गोपाल, कुंवर साहसमल, चंदा, शिखा, कचरों सिंह, सनवालदास, दुर्जन सिंह, कुंवर कल्याण दास, पुरा सिंह, हत्थी, राम सिंह, जसवंत सिंह, रायभाना, माल, गज, क्लिंगु.
पुत्रियां-
रखमावती, रामकंवर, कुसुमावती, दुर्गावती, सुक कंवर.
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