Contents
- 0.1 कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय Amir Khusrow Biography, History, Poetry, Dohe, Books, Song In Hindi
- 0.2 कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय | Amir Khusrow Biography In Hindi
- 1 तुर्कल्लाह की उपाधि | Amir Khusarow Achievements
- 2 खुसरो की खोज
- 3 खुसरो की पहली हिंदी कविता | Amir Khusrow Poetry
- 4 खुसरो के दोहे
- 5 खुसरो की ग़ज़लें
- 6 खुसरो की कह मुखरियाँ
- 7 खुसरो के प्रमुख गीत | Amir Khusarow Songs
कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय Amir Khusrow Biography, History, Poetry, Dohe, Books, Song In Hindi
खड़ी बोली हिंदी के प्रथम कवि अमीर खुसरो का पूरा नाम अबू अल हसन यामीन उद-दीन खुसरो था। उन्हें अमीर खुसरो देहलवी के नाम से भी जाना जाता है। खुसरो चौदहवीं सदी के सबसे लोकप्रिय खड़ी बोली हिंदी के कवि ,शायर,गायक और संगीतकार थे.
कवि अमीर खुसरो का जीवन परिचय | Amir Khusrow Biography In Hindi
अमीर खुसरो का जन्म सन् 1235 में एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नाम के कस्बे में हुआ था. वे एक सूफी गायक और भारतीय विद्वान भी थे. वह एक रहस्यवादी निजामुद्दीन औलिया शिष्य थे. ख़ुसरो को “भारत की आवाज़” या “भारत का तोता” ( तुति-ए-हिंद ) के रूप में भी जाना गया और उन्हें “उर्दू साहित्य का पिता” भी कहा जाता है.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | कवि अमीर खुसरो |
जन्म (Date of Birth) | सन् 1235 |
आयु | 70 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | तुर्क सैफुद्दीन |
माता का नाम (Mother Name) | बलबनके |
पेशा (Occupation ) | कवि, संगीतकार |
मृत्यु (Death) | अक्टूबर 1325 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | दिल्ली |
किशोरावस्था में उन्होंने कविता लिखना प्रारम्भ किया और 20 वर्ष के होते होते वे कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गएं. खुसरो में व्यवहारिक बुद्धि की कमी नहीं थी. सामाजिक जीवन की खुसरो ने कभी अवहेलना नहीं की. खुसरो ने अपना सारा जीवन राज्य घराने में ही बिताया. राजदरबार में रहते हुए भी खुसरो हमेशा कवि, कलाकार, संगीतज्ञ और सेनिक ही बने रहे. अमीर खुसरो ने 8 सुल्तानों का शासन देखा था. उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था.
अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया था.अमीर खुसरो तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र थे. खुसरो की माँ बलबनके युद्धमंत्री इमादुतुल मुल्क की पुत्री तथा एक भारतीय मुसलमान महिला थी. 13-14 साल की उम्र में वे अमीरों के घर में शायरी पढ़ने लगे थे.
एक बार दिल्ली के एक मुशायरे में बलबन के भतीजे सुल्तान मुहम्मद को ख़ुसरो की शायरी बहुत पसंद आई और वो इन्हें अपने साथ मुल्तान (आधुनिक पाकिस्तानी पंजाब) ले गया. सुल्तान मुहम्मद ख़ुद भी एक अच्छे शायर थे. उन्होंने खुसरो को एक अच्छा ओहदा दिया. चित्तौड़ पर चढ़ाई के समय भी अमीर खुसरो ने अलाउद्दीन खिलजी को मना किया लेकिन वो नहीं माना. इसके बाद मलिक काफ़ूर ने अलाउद्दीन खिलजी से सत्ता हथियाई और मुबारक शाह नेमलिक काफ़ूर से.
तुर्कल्लाह की उपाधि | Amir Khusarow Achievements
निजामुद्दीन औलिया ने अमीर खुसरो को तुर्कल्लाह की उपाधि दी थी. शेख निज़ामुद्दीन औलिया अफ़ग़ान-युग के महान् सूफ़ी सन्त थे. अमीर ख़ुसरो आठ वर्ष की उम्र से ही उनके शिष्य थे और सम्भवत: गुरु की प्रेरणा से ही उन्होंने काव्य लेखन प्रारम्भ किया. यह गुरु की संगति का ही असर था कि राज-दरबार के सुख के बीच रहते हुए भी ख़ुसरो हृदय से रहस्यवादी सूफी सन्त बन गये. ख़ुसरो ने अपने गुरु का मुक्त कंठ से यशोगान किया है और अपनी मसनवियों में उन्हें सम्राट से पहले स्मरण किया है. इतिहास में अमीर खुसरो तूती-ए-हिंद के नाम से जाना जाता है. उन्होंने स्वयं कहा है- “मैं हिन्दुस्तान की तूती हूँ. अगर तुम वास्तव में मुझसे जानना चाहते हो तो हिन्दवी में पूछो. मैं तुम्हें अनुपम बातें बता सकूँगा.”
खुसरो का अक्टूबर 1325 (आयु 71-72) दिल्ली, दिल्ली सल्तनत में देहांत हो गया. खुसरो ने कई ग़ज़ल, कव्वाली, रुबाई और तराने लिखे हैं.
खुसरो की खोज
अमीर खुसरो दहलवी ने सितार की रचना की. वीणा और बैंजो (जो इस्लामी सभ्यताओं में लोकप्रिय था) को मिलाकर उन्होंने सितार का अविष्कार किया, कुछ लोग इसे गिटार का रूप भी कहते हैं.
खुसरो की पहली हिंदी कविता | Amir Khusrow Poetry
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री कि सावन आया
आ घिर आई दई मारी घटा कारी
आज रंग है ऐ माँ रंग है री
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
कह-मुकरियाँ अमीर खुसरो
काहे को ब्याहे बिदेस
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
जब यार देखा नैन भर दिल की गई चिंता उतर
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल
जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए
जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्याँ
तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम
दैया री मोहे भिजोया री
दोहे अमीर खुसरो
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना
परबत बास मँगवा मोरे बाबुल, नीके मँडवा छाव रे
बन के पंछी भए बावरे, ऐसी बीन बजाई सांवरे
बहुत कठिन है डगर पनघट की
अमीर खुसरो
बहुत दिन बीते पिया को देखे
बहुत रही बाबुल घर दुल्हन
मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल
सकल बन फूल रही सरसों
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल।
~अमीर खुसरो
खुसरो के दोहे
गोरी सोये सेज पर, मुख पर डाले केशचल खुसरू घर अपने, रैन भई चहूँ देश ।
खुसरो दरिया प्रेम का,सो उलटी वा की धारजो उबरो सो डूब गया जो डूबा हुवा पार
सेज वो सूनी देख के रोवुँ मैं दिन रैन,पिया पिया मैं करत हूँ पहरों, पल भर सुख ना चैन।
रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ,जिसके कपरे रंग दिए सो धन धन वाके भाग।
खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूँ पी के संग,जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।
चकवा चकवी दो जने इन मत मारो कोय,ये मारे करतार के रैन बिछोया होय।
खुसरो ऐसी पीत कर जैसे हिन्दू जोय,पूत पराए कारने जल जल कोयला होय।
खुसरवा दर इश्क बाजी कम जि हिन्दू जन माबाश,कज़ बराए मुर्दा मा सोज़द जान-ए-खेस रा।
उज्ज्वल बरन अधीन तन एक चित्त दो ध्यान,देखत में तो साधु है पर निपट पाप की खान।
श्याम सेत गोरी लिए जनमत भई अनीत,एक पल में फिर जात है जोगी काके मीत।
पंखा होकर मैं डुली साती तेरा चाव,मुझ जलती का जनम गयो तेरे लेखन भाव।
नदी किनारे मैं खड़ी सो पानी झिलमिल होय,पी गोरी मैं साँवरी अब किस विध मिलना होय।
साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन,दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।
रैन बिना जग दुखी और दुखी चन्द्र बिन रैन,तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैंन।
अंगना तो परबत भयो देहरी भई विदेस,जा बाबुल घर आपने, मैं चली पिया के देस।
आ साजन मोरे नयनन में सो पलक ढाप तोहे दूँ,न मैं देखूँ और न को न तोहे देखन दूँ।
अपनी छवि बनाई के मैं तो पी के पास गई,जब छवि देखी पीहू की सो अपनी भूल गई।
खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय,वेद, क़ुरान, पोथी पढ़े प्रेम बिना का होय।
संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत,वे नर ऐसे जाऐंगे जैसे रणरेही का खेत।
खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन,कूच नगारा सांस का बाजत है दिन रैन
खुसरो की ग़ज़लें
1)ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,दुराये नैना बनाये बतियां |कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,न लेहो काहे लगाये छतियां||
शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़ वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,सखि पिया को जो मैं न देखूं तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां||
यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,किसे पडी है जो जा सुनावे, पियारे पी को हमारी बतियां||
चो शम्मा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह|
न नींद नैना, ना अंग चैना, ना आप आवें, न भेजें पतियां||बहक्क-ए-रोज़े, विसाल ए-दिलबर कि दाद मारा, गरीब खुसरौ|सपेट मन के, वराये राखूं जो जाये पांव, पिया के खटियां ||
2)ख़बरम रसीदा इमशब, के निगार ख़ाही आमदसर-ए-मन फ़िदा-ए-राही के सवार ख़ाही आमद। हमा आहवान-ए-सेहरा, र-ए-ख़ुद निहादा बर कफ़बा उम्मीद आं के रोज़ी, बा शिकार ख़ाही आमद। कशिशी के इश्क़ दारद, नागुज़ारदात बादीनशांबा जनाज़ा गर न आई, बमज़ार ख़ाही आमद।
खुसरो की कह मुखरियाँ
1)अर्ध निशा वह आया भौनसुंदरता बरने कवि कौननिरखत ही मन भयो अनंदऐ सखि साजन? ना सखि चंद!
2)शोभा सदा बढ़ावन हाराआँखिन से छिन होत न न्याराआठ पहर मेरो मनरंजनऐ सखि साजन? ना सखि अंजन!
3)जीवन सब जग जासों कहैवा बिनु नेक न धीरज रहैहरै छिनक में हिय की पीरऐ सखि साजन? ना सखि नीर!
4)बिन आये सबहीं सुख भूलेआये ते अँग-अँग सब फूलेसीरी भई लगावत छातीऐ सखि साजन? ना सखि पाती!
5)सगरी रैन छतियां पर राखरूप रंग सब वा का चाखभोर भई जब दिया उतारऐ सखि साजन? ना सखि हार!
खुसरो के प्रमुख गीत | Amir Khusarow Songs
1)छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइकेप्रेम भटी का मदवा पिलाइकेमतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइकेगोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँबईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइकेबल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवाअपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइकेखुसरो निजाम के बल बल जाएमोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइकेछाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके|
2)तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम,तोरी सूरत के बलिहारी ।सब सखियन में चुनर मेरी मैली,देख हसें नर नारी, निजाम…अबके बहार चुनर मोरी रंग दे,पिया रखले लाज हमारी, निजाम….सदका बाबा गंज शकर का,रख ले लाज हमारी, निजाम…कुतब, फरीद मिल आए बराती,खुसरो राजदुलारी, निजाम…कौउ सास कोउ ननद से झगड़े,हमको आस तिहारी, निजाम,तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम…