मदनलाल धींगड़ा का जीवन परिचय | MadanLal Dhingra Biography in Hindi

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मदनलाल धींगड़ा का जीवन परिचय (राजनीतिक जीवन,मृत्यु) | MadanLal Dhingra Biography (Birth Education, Political Career and Death) in Hindi

भारत माता को अंग्रेज़ो से मुक्त कराने में न जाने कितने भारतीय शहीद हो गए, उन्ही महान व्यक्तियों में नाम आता है मदनलाल धींगड़ा का. मदनलाल धींगड़ा एक युवा क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में उत्कृष्ठ कार्य किया. आज के इस लेख में हम आपको मदनलाल धींगड़ा का जीवन परिचय विस्तार से बताने जा रहे है.

प्रारम्भिक जीवन | MadanLal Dhingra Early Life


“सांस बनी है आंधी सी, तूफ़ान उठा है सीने में. जब तक गुलाम है देश मेरा, मौज कहाँ है जीने में.”

मदनलाल धींगड़ा

नाम– मदनलाल धींगड़ा
जन्मतिथि– 18 फ़रवरी, 1883
जन्मस्थान– अमृतसर, पंजाब, भारत
धर्म– हिन्दू
राष्ट्रीयता– भारतीय

Madan Lal Dhingra Early Life

मदनलाल धींगड़ा का जन्म 18 फरवरी 1883 को अमृतसर, पंजाब के एक सम्पन्न हिन्दू परिवार में हुआ था. उनके पिताजी दित्तामल धींगड़ा एक सिविल सर्वेंट थे और उनकी माताजी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी.

वर्ष 1900 तक मदनलाल धींगड़ा ने एमबी इंटरमीडिएट कॉलेज अमृतसर में पढ़ाई की. उसके बाद वे गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए लाहौर चले गए. 1906 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गये जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कालेज लन्दन में यांत्रिकी अभियांत्रिकी में प्रवेश ले लिया था. इंग्लैंड में उनके बड़े भाई ने उनके खर्चों का भुगतान किया था, उसके साथ उन्हें इंग्लैण्ड में रह रहे कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से भी आर्थिक मदद मिली थी.

क्रांतिकारी जीवन सफ़र | MadanLal Dhingra Revolutionary Life Journey

उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था. अंग्रेज़ो के विरुद्ध मदनलाल को आंदोलन करते देख, उनके परिवार ने उनसे रिश्ता तोड़ दिया. उसके बाद मजबूरी में उन्हें क्लर्क, तांगा-चालक और कारखाने में श्रमिक के रूप में कार्य करना पड़ा था. कारखाने में श्रमिकों की दशा देख उसे सुधारने के हेतु से उन्होने संगठन बनाने के कोशिश की, लेकिन फिर वहा से भी उन्हें निकाल दिया गया था. उनके बड़े भाई की सहायता से उन्होंने इंग्लैंड जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने का निश्चय किया.

लंदन में मदनलाल जी की मुलाक़ात प्रख्यात राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर जी से हुई. मदनलाल जी का देश प्रेम और देश की स्वतन्त्रता की चाहत को देख सावरकर प्रभावित हो गए. फिर सावरकर जी ने मदनलाल को अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था का सदस्य बनाया और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया.

Image Source Google/Wikipedia

वे मुख्य रूप से भारत की गरीबी को लेकर चिंतित रहते थे. उन्होंने भारत की इस स्थिति का मूल जानने केलिए विस्तार से अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि, औपनिवेशिक सरकार की औद्योगिक और वित्त नीतियों को स्थानीय उद्योग को दबाने और ब्रिटिश आयातों की खरीद के पक्ष में बनाया गया था, जिसमें से उन्हें लगा कि यह भारत में आर्थिक विकास की कमी का एक प्रमुख कारण है. उन्होंने आंदलनों के माध्यम से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना शुरू किया, और भारतीयोंको भी इसमें शामिल होने केलिए प्रेरित किया. इस कृति से देशी उद्योग और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने का हेतु रहा. इन्होने नारा दिया था कि- ‘देश की पूजा ही राम की पूजा है’.

कर्जन वायली की हत्या | Curzon Wyllie’s Murder

1 जुलाई 1909 को इण्डियन नेशनल ऐसोसिएशन के वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिये भारी संख्या में भारतीय और अंग्रेज़ इकट्ठे हुए थे. जैसे ही भारत सचिव के राजनीतिक सलाहकार सर विलियम हट कर्जन वायली अपनी पत्नी के साथ हाल में आये, मदनलाल धींगड़ा ने उनके चेहरे पर पाँच गोलियाँ मारी. उसके बाद उन्होंने खुद को भी गोली मारनी चाही, लेकिन उन्हें पकड़ लिया गया.

निधन | Madan Lal Dhingra death

इस किये की सजा की सुनवाई 23 जुलाई 1909 को पुराने बेली कोर्ट में की गयी. इसके अनुसार, उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गयी और 17 अगस्त को लंदन की पेंटविले जेल में उन्हें फांसी दे दी गयी. इनका स्मारक अजमेर में रेलवे स्टेशन के ठीक सामने बनाया गया है.

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